हिंदी हमारी मातृभाषा है और जितना संभव हो हमें इसकी प्रचार प्रसार जरूर करनी चाहिए। भाषा चाहे अंग्रेजी हो या हिंदी या कोई और ही भाषा क्यों न हो। सभी भाषा में एक बात Common यह है की सभी भाषा की लिखावट के पीछे लिपि होती है।
जिस प्रकार अंग्रेजी भाषा को लिखने में रोमन लिपी का इस्तेमाल होता है। ठीक उसी प्रकार हिंदी भाषा में देवनागरी लिपि का इस्तेमाल किया जाता है। इस लेख हिंदी भाषा को सिखने की इक्षा रखने वालों के लिए हिंदी की सबसे छोटी और पहली इकाई हिंदी वर्णमाला की जानकारी दी गयी है।
हिंदी वर्णमाला | Hindi Varnmala
हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई को ध्वनि कहा जाता है और उस ध्वनि को वर्ण भी कहा जाता है। वर्णो की व्यवस्थित समूहों को ही वर्णमाला कहा जाता है।
वर्णमाला के भेद अर्थात प्रकार
वर्णमाला के मुख्यता तीन भागों में विभाजित किया गया है और वह कुछ इस प्रकार है:
- स्वर वर्ण
- अयोगवाह वर्ण
- व्यंजन वर्ण
स्वर वर्ण | Vowels in Hindi
जिन वर्णों को स्वतंत्र रूप से बोला जा सके उसे स्वर वर्ण कहते हैं। परंपरागत रूप से स्वरों की संख्या 11 मानी गयी है। लेकिन उच्चारण की दृष्टि से स्वरों की संख्या केवल 10 होती है। स्वर का अर्थ है, ऐसा वर्ण जिसका उच्चारण अपने आप हो सके अर्थात जिसको उच्चारण के लिए दूसरे वर्णो से मिलने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
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आपको बता दूँ, स्वरों का दूसरा नाम अच्हिं भी है। परंपरागत रूप से हिंदी भाषा में स्वर वर्णों की संख्या कूल 11 है। जो की कुछ इस प्रकार है:
क्रमांक | स्वर वर्ण |
1. | अ |
2. | आ |
3. | इ |
4. | ई |
5. | उ |
6. | ऊ |
7. | ऋ |
8. | ए |
9. | ऐ |
10. | ओ |
11. | औ |
स्वर वर्ण के भेद अथवा प्रकार
स्वर वर्ण के दो भेद होते हैं और वह कुछ इस प्रकार हैं:
- मूल स्वर
- संयुक्त स्वर

मूल स्वर
वैसे स्वर जिसे बोलने में किसी दूसरे स्वर का साथ न लिया जाता हो, वो मूल स्वर कहलाते हैं। मूल स्वरों की कूल संख्या 8 है। जैसे: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ओ।
मूल स्वर के भेद: मूल स्वर को भी तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है।
- हश्व स्वर: जिन स्वरों के उच्चारण में कम से कम समय लगता है, उन्हें हस्व कहते हैं। हस्व स्वर की संख्या चार है: अ, इ, उ, ऋ।
- दीर्घ स्वर: जिन स्वरों के उच्चारण में हस्व स्वरों से दुगना समय लगता है, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। दीर्घ स्वरों की कूल संख्या सात होती है: आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ। दीर्घ स्वर दो शब्दों के योग से बनते हैं। जैसे: अ + अ = आ, इ + इ = ई।
- प्लुत स्वर: जिन स्वरों केउच्चारण में दीर्घ स्वरों से भी अधिक समय लगता है, उन्हें पलटू स्वर कहते हैं। प्रायः इनका प्रयोग दूर से बुलाने में किया जाता है। हिंदी भाषा में आमतौर पर प्लुत स्वर का प्रयोग नहीं होता। इसका प्रयोग आमतौर पर वैदिक भाषा में किया जाता है। इसलिए इसे त्रिमात्रिक स्वर भी कहते हैं।
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संयुक्त स्वर
स्वर के वो भेद जो दो वर्णो से मिलकर बना हुआ हो। वो संयुक्त वर्ण कहलाते हैं। जैसे:
- ए + अ = ऐ
- अ + औ = औ
अयोगवाह वर्ण
वैसे वर्ण जो न तो पूरी तरह से स्वर वर्ण हैं और नाहीं ये पूरी तरह से व्यंजन वर्ण हैं। हिंदी वर्णमाला में अयोगवाह वर्णो की कूल संख्या दो है: अं = अनुस्वार और अः = विसर्ग।
व्यंजन वर्ण
वैसे वर्ण जिनके उच्चारण के लिए स्वरों की सहायता लेनी पड़ती है। अर्थात वैसे वर्ण जिन्हे बोलने के लिए हमें दूसरे वर्णो की सहायता लेनी पड़ती है। वो व्यंजन वर्ण कहलाती है।

व्यंजन वर्ण के भेद
व्यंजन वर्ण को तीन भागों में बांटा गया है:
- स्पर्श व्यंजन
- अन्तस्थ व्यंजन
- उष्ण/ संघर्षी व्यंजन
अंतिम शब्द
इस लेख के माध्यम से आपने हिंदी वर्णमाला (Alphabets and Letters in Hindi) और इसके भेद को जाना तथा समझा। इस लेख से संबंधित किसी प्रकार का कोई सुझाव, सवाल या शिकायत हो तब निचे कमेंट के माध्यम से हमें जरूर बतलायें, धन्यवाद।
FAQs
Q: हिंदी वर्णमाला टोटल में कितने अक्षर होते हैं
उत्तर: हिंदी वर्णमाला में कूल 52 अक्षर होते हैं।
Q: अ से ज्ञ तक में कितने अक्षर होते है?
उत्तर: अ से ज्ञ तक में कूल 52 अक्षर होते हैं।

जैकी कुमार ने Bachelor of Arts में स्नातक डिग्री प्राप्त किया है और ये एक व्यापारी हैं, इसके साथ ही ये अपने Passion को फॉलो करते हुए अपने व्यस्त जीवन से कुछ समय निकाल कर हिंदी में ब्लॉग लिखना पसंद करते हैं।