क्रिया: परिभाषा, भेद और उदाहरण | Verb in Hindi

संज्ञा, सर्वनाम, और विशेषण के बाद इस लेख में आप क्रिया अर्थात Verb in Hindi के बारे में पढोगे। जिसमे क्रिया की परिभाषा से लेकर इसके भेद और उदाहरण भी शामिल है।

क्रिया अर्थात Verb in Hindi

परिभाषा: जिस शब्द से किसी काम के करने या होने का बोध हो उसे क्रिया कहते हैं। जैसे: खाना, पीना, उठना, बैठना, हंसना, रोना, होना, आदि।

क्रिया भी विकारी शब्द है। क्रिया के रूप लिंग, वचन, और पुरूष के अनुसार बदलते रहते हैं तथा वाक्यों में भी इनका प्रयोग विभिन्न रूपों में होता है। जैसे: खाना- खाता, खाती, खाते, खाया, खायी/खाई, खाये/खाए, खाऊँ, खाऊँगा, खाऊँगी,खाएंगे, खिलाना, खिलवाना आदि।

उदाहरण:

  • उसने भात खाया। ( खाया- क्रिया)
  • मैंने रोटी खाई। ( खाई- क्रिया)

क्रिया के विभिन्न रूप कैसे बनते हैं या क्रिया की उत्पत्ति कैसे होती है, यह समझने के लिए धातु की जानकारी आवश्यक है।

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धातु

परिभाषा: क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं। जैसे: आ, जा, खा, पी, पढ, लिख, रो, हंस, उठ, बैठ, टहल आदि।

इन्ही मूल रूपों में- ना, नी, ने, ता, ती, ते, या, यी/ई, ये,/ए, ऊॅ, गा, गी, गे, आदि प्रत्यय लगने से क्रिया के विभिन्न रूप बनते हैं। जैसे: ना ( प्रत्यय) – आना, जाना,खाना, पीना, पढना, लिखना आदि।

धातु के भेद

धातु के दो भेद हैं:

  1. मूल धातु और
  2. यौगिक धातु।

मूल धातु: यह स्वतंत्र होती है, किसी दूसरे शब्द(पद) या प्रत्यय पर आश्रित नहीं होती। जैसे: आ, जा, खा, ले, लिख, पढ़, चल, दे, जग, उठ, बैठ आदि।

उदाहरण:

  • इधर आ।
  • आम खा।
  • उधर मत जा।
  • किताब पढ़।

जैसा कि यहाँ- आ, जा, खा और पढ़ धातुएँ किसी प्रत्यय या शब्द पर आश्रित नहीं है। इनका प्रयोग स्वतंत्र हुआ है।

यौगिक धातु: सामान्य भाषा में इसे क्रिया कहते हैं। यह स्वतंत्र नहीं होती है। मूल धातु में किसी दूसरी मूल धातु या अन्य प्रत्यय को जोड़ने से यौगिक धातु बनती है। जैसे: बैठना, जाना, बैठ जाना, हंसना, देना, हंस देना, जगना, जगाना, जगवाना, हथियाना, गरमाना, अपनापन आदि।

उदाहरण:

  • वह इधर आ रहा है। वह हँस रहा था।
  • तुम्हे उधर नहीं जाना है। हमलोग बैठ जाएंगे।
  • तुम्हे उधर नहीं जाना है। हमलोग बैठ जाएंगे।

उपयुक्त वाक्यों में – आ, जा, हँस, बैठ, क्रमशः रहा है, ना है, रहा था, एवं जाएंगे पर आश्रित है।

क्रिया के कार्य

क्रिया के निम्नलिखित प्रमुख कार्य है:

(1) गतिशीलता या स्थिरता का का बोध कराना- क्रिया किसी व्यक्ति अथवा वस्तु की गतिशीलता या स्थिरता का बोध कराती है। जैसे:

  • लड़के दौड़ रहें हैं। (गतिशीलता का बोध)
  • लड़कियां कूद रही है।
  • मैं टहल रहा हूं।
  • पक्षी वृक्ष पर बैठे हैं। (स्थिरता का बोध)
  • कुत्ता सोया हुआ है।
  • घोड़ा मरा पड़ा है।

(2) किसी काम के करने या होने का बोध कराना- क्रिया इस बात का बोध कराती है कि कोई काम जान बूझकर किया जा रहा है या स्वतः हो रहा है। जैसे:

  • मैं किताब पढ़ रहा हूँ। (किए जाने का बोध)
  • हवा बह रही है। (स्वतः होने का बोध)

(3) समय का बोध कराना- क्रिया समय का भी बोध कराती है। जैसे:

  • मैं पढ़ रहा हूँ। (वर्तमान समय का बोध)
  • मैं पढ़ रहा था। (बीते समय का बोध)
  • मैं कल पढूंगा। (आनेवाले समय का बोध)

(4) शारीरिक स्थित का बोध कराना- क्रिया से किसी की शारीरिक स्थिति का पता चलता है। जैसे: वह तैर रहा है। मैं बैठा हूँ।

(5) मानसिक स्थिति का बोध कराना- क्रिया से मानसिक स्थिति का बोध होता है। जैसे: श्याम रो रहा है। राम हँस रहा है।

क्रिया के भेद

क्रिया के मुख्यतः दो भेद हैं:

  1. सकर्मक क्रिया (Transitive Verb)
  2. अकर्मक क्रिया ( Intransitive Verb)

1. सकर्मक क्रिया

परिभाषा: जिस क्रिया के साथ कर्म हो या कर्म के रहने की संभावना हो उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे- खाना, पीना, पढ़ना, लिखना, गाना, बजाना, मारना, पीटना आदि।

उदाहरण:

  • वह आम खाता है।
  • प्रश्न: वह क्या खाता है?
  • उत्तर: वह आम खाता है।

यहाँ कर्म (आम) है या किसी न किसी कर्म (भात, रोटी आदि) के रहने की संभावना है, अतः ‘खाना’ सकर्मक क्रिया है।

2. अकर्मक क्रिया

परिभाषा: जिस क्रिया के साथ कर्म न हो या किसी कर्म के रहने की संभावना न हो उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे: आना, जाना, हँसना, रोना, सोना, जगना, चलना, टहलना आदि।

उदाहरण:

  • वह रोता है।
  • प्रश्न: वह क्या रोता है?

ऐसा न तो प्रश्न होगा और न ही इसका कुछ उत्तर।
यहाँ कर्म कुछ नहीं है और न किसी कर्म के रहने की संभावना है, अतः ‘रोना’अकर्मक क्रिया है।

क्रिया के अन्य रूप

क्रिया के कुछ और रूप है, जिन्हें समझना हमारे लिए आवश्यक है। क्रिया के अन्य रूप कुछ इस प्रकार हैं:

  1. सहायक क्रिया
  2. पूर्वकालिक क्रिया
  3. प्ररेणाथर्क क्रिया
  4. द्विकर्मक क्रिया
  5. क्रियार्थक क्रिया
  6. विधि क्रिया

1. सहायक क्रिया

मुख्य क्रिया की सहायता करनेवाली क्रिया को सहायक क्रिया कहते हैं। जैसे: हूँ, है, रहा, रही, रहे, था, थे, थी, थीं आदि।

उदाहरण:

  • मैं खा रहा हूँ। (रहा, हूँ- सहायक क्रिया)
  • वह पढ़ता है। ( है – सहायक क्रिया)

यहाँ मुख्य क्रियाएँ ‘खाना’ और ‘पढ़ना’ है, जिनकी सहायता सहायक क्रियाएँ कर रही हैं।

2. पूर्वकालिक क्रिया

जब कर्ता एक क्रिया को समाप्त कर उसी क्षण कोई दूसरी क्रिया आरंभ करता है, तो पहली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है। जैसे: खाकर, पीकर, पढ़कर, लिखकर, आकर, जाकर, सोकर, जगकर आदि।

उदाहरण:

  • मैं पढ़कर लिखने लगा। ( पढ़कर – पूर्वकालिक क्रिया)
  • वह खाकर सोने गया। ( खाकर- पूर्वकालिक क्रिया)

3. प्रेरणार्थक क्रिया

जिस क्रिया से यह ज्ञात हो कि कर्ता स्वंय कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, तो उस क्रिया को प्ररेणार्थक क्रिया कहते हैं।

उदाहरण:

  • माँ दाई से बच्चे को दूध पिलवाती है। (पिलवाना – प्ररेणार्थक क्रिया)
  • राम श्याम से पत्र लिखवाता है। (लिखवाना – प्ररेणार्थक क्रिया)

प्ररेणार्थक क्रिया भी दो तरह की होती है – प्रथम प्ररेणार्थक और द्वितीय प्ररेणार्थक क्रिया।

अब मूल क्रिया (धातु) से बनी प्रथम प्ररेणार्थक और द्वितीय प्ररेणार्थक क्रिया की एक संक्षिप्त सूची को देखें:

4. द्विकर्मक क्रिया

जिस क्रिया के दो कर्म होते है उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे:

  • शिक्षक विधार्थी को पढ़ाते हैं। (एक कर्म – विधार्थी)
  • शिक्षक विधार्थी को हिंदी पढ़ाते हैं। ( दो कर्म- विधार्थी एवं हिंदी)


प्रथम वाक्य में ‘ पढ़ाना’ क्रिया का एक कर्म है, लेकिन दूसरे वाक्य में ‘पढ़ाना’ क्रिया के दो कर्म हैं, अतः द्वितीय वाक्य में प्रयुक्त ‘पढ़ाना’ क्रिया द्विकर्मक क्रिया कहलाएगी।

5. क्रियार्थक क्रिया

जिस क्रिया का प्रयोग मुख्य क्रिया के पहले के संज्ञा के रूप में होता है उसे क्रियार्थक क्रिया कहते हैं। जैसे:

  • टहलना स्वास्थय के लिए जरूरी है। ( क्रियार्थक क्रिया- टहलना)
  • वह टहलने गया। ( क्रियार्थक क्रिया- टहलने)
  • वह टहलने के लिए गया है। ( क्रियार्थक क्रिया- टहलने के लिए)

6. विधि क्रिया

क्रिया के जिस रूप से आज्ञा, अनुमति, अनुरोध, प्रार्थना, उपदेश आदि का बोध हो उसे विधि क्रिया कहते हैं। जैसे:

  • आज्ञा:अन्दर आओ। (आओ- विधि क्रिया )
  • प्रार्थना: हे ईश्वर, मेरी सहायता करो। (करो- विधि क्रिया)
  • उपदेश: बड़ो का कहना मानो। (मानो- विधि क्रिया)
  • अनुरोध: कृपया मेरे यहाँ जरूर आइए। (आइए- विधि क्रिया)

अंतिम शब्द

इस लेख के माध्यम से आपने क्रिया (Verb in Hindi) तथा क्रिया की परिभाषा तथा इसके भेद को जाना और समझा। इस लेख से सम्बंधित किसी तरह की कोई शिकायत, सुझाव या समस्या आपके पास हो, तब निचे कमेंट करके हमें जरूर बतलायें, धन्यवाद्।

FAQs

Q: क्रिया किसे कहते हैं?

उत्तर: जिस शब्द से किसी काम के करने या होने का बोध हो उसे क्रिया कहते हैं। जैसे: खाना, पीना, उठना, बैठना, हंसना, रोना, होना, आदि।

Q: क्रिया के कितने भेद होते हैं?

उत्तर: कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद हैं: 1. सकर्मक क्रिया, 2. अकर्मक क्रिया।
काल के आधार पर क्रिया के भेद: 1. भूतकालिक, 2. वर्तमान कालिक, 3. भविष्यत कालिक।

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