चक्रवात (Cyclone) क्या है? कारण, प्रकार, बचने के उपाय और नुकसान

एक के बाद एक चक्रवात और तूफ़ान आ रहे हैं, कहीं बाढ़ तो कहीं बादल फटने जैसी प्राकृतिक घटनाएं लगातार घट रही है। ये सब कहीं न कहीं वैश्विक स्तर पर हो रहे प्रदुषण का ही दुष्प्रभाव है। हाला ही में अभी गुलाब तूफ़ान भारत के पूर्वी तट से टकराई ही थी की भारत के मौसम विभाग ने शाहीन चक्रवात के नाम से एक नयी चेतावनी जारी कर दी है, जिसकी गुजरात और राजस्थान के पश्चिमी तटीय इलाकों से टकराने की उम्मीद है।

लेकिन ये चक्रवात आखिर है क्या? इसके कारण, इसके प्रकार और इससे जुड़े अन्य सारे सवालों के जवाब आपको आज के इस लेख में मिलेंगे।

चक्रवात (Cyclone) क्या है?

चक्रवात एक तरह से तूफ़ान का ही रूप है, किसी भी कम दबाव वाले केंद्र के चारो ओर घूमने वाले तूफ़ान को कहा जाता है। कम दबाव वाले इस केंद्रित क्षेत्र को EYE के नाम से भी जाना जाता है और आमतौर पर यह केंद्रित क्षेत्र तूफ़ान के बाकी क्षेत्रों की तुलना में काफी शांत होता है।

जब बात समुद्री तूफ़ान की आती है तब Cyclones को कई सारे अन्य नाम से भी जाना जाता है, और ये नाम क्षेत्र के अनुरूप बदलता है। उदाहरण के तौर पर अगर देखा जाए तब अटलांटिक महासागर और पूर्वोत्तर प्रशांत महासागर में आने वाले तूफ़ान को Hurricane के नाम से जाना जाता है।

चक्रवात(Cyclone) क्या है कारण, प्रकार, बचने के उपाय और नुकसान
चक्रवात से होने वाले नुकसान

अगर यह समुद्री तूफ़ान उत्तर-पश्चिमी प्रशांत महासर में आती है, तब उसे Typhoon के नाम से जाना जाता है। वहीं दक्षिणी प्रशांत और हिन्द महासागर में आने वाले समुद्री तूफ़ान को उष्ण-कटिबंधीय चक्रवात के नाम से जाना जाता है।

चक्रवात के प्रकार

चक्रवात को मुख्य रूप से दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है, और वह कुछ इस प्रकार हैं।

उष्ण-कटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone)

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की अगर बात करें तब उष्णकटिबंधीय चक्रवात वैसे तूफ़ान को कहते हैं जिसमे हवा की रफ़्तार 62 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक होती है। इस तरह के तूफ़ान जादातर हिंसक रूप धारण कर लेते हैं और इसमें जान-माल की काफी ज़्यादा छति पहुँचती है। चक्रवात का उदगम हमेशा समुद्र में होता है और यह धीरे-धीरे तटीय इलाकों में प्रवेश कर जाते हैं।

उष्ण-कटिबंधीय चक्रवात बनने की अनुकूल परिस्तिथियाँ

  • समुद्री सतह का तापमान 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक होना।
  • ऊर्ध्वाधर हवा की गति में बदलाव आना।
  • पहले से बने कुछ निम्न दबाव के क्षेत्र।
  • समुद्री तल के ऊपर विचलन होना
  • कोरिओलिस बल की मौजूदगी।

अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात

इस प्रकार के चक्रवात को कई सारे अन्य नामों से भी जाना जाता है। जैसे समशीतोष्ण चक्रवात या मध्य अक्षांश चक्रवात या लहर चक्रवात इत्यादि। वैसे चक्रवात जो दोनों गोलार्द्धों में मध्य अक्षांशीय क्षेत्र के ऊपर 35° और 65° अक्षांश के बीच सक्रिय होते हैं। इन चक्रवातों की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर होती है और आमतौर पर यह शर्दियों के मौसम में ज़्यदातर आती है।

चक्रवात से बचने के उपाय

चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदा से बचना तो नामुमकिन है। लेकिन अगर पहले से एतिहात बरता जाये तब इस आपदा से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस नुकसान को कम करने का एकमात्र तरीका है जानकारी।

चक्रवाती मौसम शुरू होते ही सतर्क हो जाएँ

  • अपने क्षेत्र को अच्छी तरह से जान लें और ऊँचे स्थान की जानकारी रखें ताकि जल भराव की स्तिथि में आप खुद को और अपने परिवार को बचा सकें।
  • खाद्य पदार्थ और पिने का पानी पहले से जमा करलें, क्यूंकि हवाई सहायता को आप तक पहुंचने में काफी समय लग सकता है।
  • जरुरी सामानो को साथ रखें जैसे: First Aid Kit, अतिरिक्त बैटरी के साथ बैटरी से चलने वाली रेडियो, टोर्च, पॉवरबैंक, अग्निशामक, और व्यक्तिगत जरुरी चीज़ें जैसे सर्फ़, साबुन, दन्त मंजन, और अतिरिक्त चादर या कम्बल।
  • आपातकालीन योजना बनाकर तैयार रखें। जैसे की पानी भर जाने की स्तिथि में किन-किन स्थानों पर ठहरा जा सकता है, संचार की व्यवस्था, अपने पालतू जानवरों को कैसे ख्याल रखना है और उनके खान-पान की चीज़ें।

चक्रवात आने से पहले तैयारी करें

  • नवीनतम जानकारी से खुद को और अपने आस-पास के लोगों को अपडेट करते रहें।
  • अपने घर या कमरों में स्तिथ किसी भी ढीले-ढाले वस्तु को ज़मीन पर या किसी बक्से में बंद करके रख दें, ताकि चक्रवात के दौरान यह आपको चोटिल दे।
  • बैंक या ATM से अतिरिक्त पैसे की निकासी करलें।
  • अपने घर की कांच वाली खिड़कियों को हो सके तब अच्छे से बंद कर दें और संभव हो तब उसके ऊपर बोर्ड लगा दें।
  • अपने वाहन में ईंधन को पहले से भरकर रखें, ताकि आप अधिक दुरी तक यात्रा क्र भी सुरक्षित स्थान पर समय रहते पहुँच सकें।
  • सभी जरुरी कागजात को वाटरप्रूफ वस्तु में रखें और फिर उसे लाकर में बंद कर दें।
  • अगर सरकार या उसके किसी एजेंसी से कोई आदेश मिला हो तब उसे जल्द मान लें।

चक्रवात आने की स्तिथि में

  • स्थानीय अधिकारियों द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें।
  • घर में स्तिथ बाल्टी और बाथ टब को पानी से भर लें, क्योंकि चक्रवात की वजह से कुछ दिनों तक पानी का सप्लाई पर प्रभाव पड़ सकता है।
  • LPG या अन्य ज्वलनशील टैंक को बंद करके रखें वरना आग लगने का खतरा बना रहता है।
  • खिड़की और दरवाज़ों से दुरी बनाये रखें, किसी कारणवश ये गिरे तब आप इससे घयल हो सकते हैं।
  • जब तक आदेश न हो घर से बाहर न निकले।

चक्रवात के गुज़र जाने के बाद

  • आपके घर को पहुंचे किसी भी नुकसान की स्तिथि में तुरंत बिमा कंपनी में अपना दावा ठोकें।
  • नल के जल को तब तक ना पियें, जब तक अधिकारीयों द्वारा इसके सुरक्षित होने का आदेश जारी नहीं कर दिया जाता।
  • किसी भी प्रकार से आपके घर या पड़ोस में हुए ढांचेगत नुकसान की रिपोर्ट करें।
  • सावधानी से वाहन का प्रयोग, बहुत ज़्यादा जरुरी हो तभी एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाएँ।

चक्रवात से होने वाले नुकसान

चक्रवात से होने वाले विनाश मुख्य रूप से इसकी तीव्रता, आकार और स्थान पर निर्भर करता है। वन्य क्षेत्रों में आमतौर पर पेड़-पौधों को काफी नुकसान पहुँचता है तब वहीँ दूसरी ओर तटीय इलाकों में तटबंध और किनारे नष्ट हो जाते हैं। चक्रवात से होने वाले नुकसान को तीन भागों में वर्गीकृत किया जाता है, जिससे इसके नुकसान का आकलन अच्छे से किया जा सके।

प्राथमिक नुकसान

इस वैसे नुकान को शामिल किया जाता है जो सीधे तौर पर चक्रवात से प्रभावित हुए रहते हैं। जैसे भारी बारिस, तेज़ हवाएं, समुद्र का जल स्तर बढ़ना, इसके अलावा नीचलेइलाक़ों में बाढ़ की स्तिथि, लोगों और जानवरों की मृत्यु, बड़े पेड़ों का गिरना इत्यादि।

माध्यमिक नुकसान

इसमें कृषि भूमि का नुकसान, इमारतों का गिरना, पुरे के पुरे बेस हुए क्षेत्रों का जलमग्न हो जाना, जंगल में आग लगना इत्यादि शामिल है।

तृतीयक नुकसान

इसमें चक्रवात के गुज़र जाने की बाद की स्तिथि में हुए नुकसान की गणना की जाती है, जिसमे गंदे पानी से होने वाली बीमारी, मछरों के वजह से फैलने वाली बिमारी, खाद्य पदार्थ की कमी और जरुरी वस्तुओं की कीमत अचनाक से बढ़ जाने जैसी नुकसान शामिल हैं।

अंतिम शब्द

इस लेख के माध्यम से आपने जाना की चक्रवात (Cyclone) क्या है? साथ ही अपने इसके कारण, प्रकार, और इससे बचने के उपाय और नुकसान को भी जाना। लेख से सम्बंधित किसी तरह की कोई सवाल, शिकायत या सुझाव आपके मन में हो तब निचे कमेंट करके हमें अवश्य बतलायें, धन्यवाद।

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