केदारनाथ मंदिर का इतिहास क्या है? यात्रा कैसे करें और इससे जुड़े रोचक तथ्य

देवों के देव महादेव का स्थान केदारनाथ मंदिर, एक ऐसी धार्मिक स्थल जहां जाने के लिए एक आम हिन्दू भक्त के मन में कभी ने कभी एक बार अवश्य ख्याल आता है। भक्तों के मन में ऐसी इक्षा अवश्य होती है की काश एक वो भी केदारनाथ मंदिर जाते और दर्शन करके आते। तो आज के इस लेख में आप केदारनाथ से जुड़ी हर वह बात जानेंगे जिससे आप अबतक अनजान थे। केदारनाथ मंदिर का इतिहास, यहाँ कैसे पहुंचे और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य और साथ ही ऐसे और भी कई सारे अनगिनत सवालों के जवाब आपको मिलेंगे जिसे आप जानना चाहते हैं।

केदारनाथ का इतिहास क्या है यात्रा कैसे करें और इससे जुड़े रोचक तथ्य
केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ क्या है?

केदारनाथ मंदिर हिंदुओं के देवता शिव जी का पूजा स्थल है, जो हिमालय की गोद में उत्तराखंड के मन्दाकिनी नदी के नजदीक स्तिथ है। अक्सर मौसम ख़राब रहने की वजह से यह मंदिर साल के केवल कुछ ही महीने अप्रैल से नवंबर तक ही भक्तों के दर्शन हेतु खुला होता है। बाकि ठण्ड के समय मंदिर में स्तिथ देवता को केदारनाथ मंदिर से उठाकर रुद्रप्रयाग स्तिथ उखीमठ में ले जाय जाता और वहीँ इनका पूजा पाठ अगले 6 महीनो तक किया जाता है।

इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 22 किलोमीटर लम्बे पहाड़ी रास्तो से चढ़ाई करनी पड़ती है, अगर आप पैदल इस दुरी को चलने में सक्षम नहीं हैं तब आप वहां किराए पर मौजूद घोड़े अथवा बग्घी जैसी साधनो का उपयोग कर केदारनाथ मंदिर तक जा सकते हैं।

केदारनाथ मंदिर का इतिहास

केदारनाथ यह शब्द संस्कृत के दो शब्दों ‘केदारा’ और ‘नाथा’ से मिलकर बना है जिसका अर्थ है ‘क्षेत्रों के स्वामी’। केदारनाथ मंदिर का निर्माण कब किया गया है और इस मंदिर का निर्माण किसने किये हैं इसकी अभी तक किसी के पास कोई सटीक जानकारी मौजूद नहीं है। केदारनाथ समुद्रतल से लगभग 3580 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है और उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्द तीर्थ स्थान ऋषि-केश से लगभग 220 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ है। केदारनाथ मन्दाकिनी नदी जो की गंगा की एक सहायक नदी है, के किनारे हिमालय की गोद में स्तिथ है।

पंच केदार की लोक कथा के मुताबिक़ महाभारत में वर्णित पांडव ने जब कुरुक्षेत्र में अपने कौरव भाईओं को पराजित कर युद्ध में विजय की प्राप्ति की थी। तब युद्ध के दौरान अपने गोत्र-भाई और ब्रह्महत्या के पश्चात वो इस चीज़ की प्राश्चित करना चाहते थे और इस प्राश्चित को पूरा करने हेतु अपने पुरे साम्राज्य को अपने परिजनों को सौपने के पश्चात वो भगवान् शिव की खोज में और उनसे आशीर्वाद प्राप्ति हेतु घर से निकल पड़े थे।

भगवान् शिव की खोज करते हुए सबसे पहले पांडव वाराणसी पहुंचे लेकिन भगवन शिव इनसे बचना चाहते थे क्यूंकि इनके द्वारा युद्ध में की गयी हत्या से ये नाराज़ थे और इसलिए भगवान् शिव बैल(नंदी) का रूप धारण करके गढ़वाल के क्षेत्र में छिप जाते हैं। इस वजह से पांडवों को वाराणसी में भगवान् शिव के दर्शन नहीं हो और अपनी खोज को जारी रखते हुए पांडव हिमालय स्तिथ गढ़वाल की और बढ़ते हैं।

गुप्तकाशी में पांडव के दूसरे भाई भीमा द्वारा नंदी चरते हुए दिख जाती है और भीमा भगवान् शिव के नंदी के रूप में छिपे होने का एहसास हो जाता है। भीमा द्वारा नंदी के पकड़ लिए जाने के पश्चात शिव अवतरित नंदी पृथिवी में कहीं गायब हो जाती है और फिर आगे चल कर यह पांच स्थानों पर कुछ इस प्रकार अवतरित होती है:

  • Hump (कूबड़)- केदारनाथ में।
  • हाथ – तुंगनाथ में।
  • चेहरा – रुद्रनाथ में।
  • नाभि और पेट – मध्यमहेश्वर में।
  • बाल – कल्पेश्वर में।

भगवान् शिव के अलग-अलग रूप में प्रकट होने पर इन्होने शिव की आराधना की और मंदिर भी बनवाये, और इस प्रकार पांडव अपने प[पापों से मुक्त हो गए।

केदारनाथ की यात्रा कैसे करें?

केदारनाथ यात्रा के लिए सबसे पहले आपको इसके बेस कैंप गौरीकुंड तक पहुंचना होगा और फिर गौरीकुंड से आप पैदल या अन्य साधन जैसे घोड़े या फिर बग्घी के उपयोग क्र गौरीकुंड से 22 किलोमीटर दूर हिमालय में स्तिथ केदारनाथ जा सकते हैं। गौरीकुंड तक जाने के आपके पास तीन प्रकार से साधन है और आप देश-विदेश कहीं से भी केदारनाथ दर्शन करने आना चाहते हो तब आपको सबसे पहले गौरीकुंड तक ही आना पड़ेगा।

सड़क मार्ग से

गौरी कुंड सड़क मार्ग के जरिये सीधी रूप से देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार और कोटद्वार से जुड़े हुआ है यहाँ से आप बस या फिर प्राइवेट टैक्सी के जरिये गौरी कुंड तक पहुँच सकते हैं और फिर गौरीकुंड से पैदल चलकर 22 किलोमीटर दूर स्तिथ हिमालय में स्तिथ केदारनाथ के दर्शन क्र सकते हैं।

हवाई मार्ग से

अगर बात की जाए गौरीकुंड से सबसे नज़दीक स्तिथ घरेलु एयरपोर्ट की तब वह है देहरादून स्तिथ जॉलीग्रांट एयरपोर्ट और अगर अंतराष्ट्रीय ऐरपोर्टकी तब वह है देशकी राजधानी स्तिथ दिल्ली एयरपोर्ट। देश के किसी भी कोने से आप देहरादून तक हवाई मार्ग के जरिये आ सकते हैं और फिर आगे का सफर सड़क मार्ग के जरिये पूरा कर केदारनाथ पहुंच सकते हैं।

ट्रैन के जरिये

केदारनाथ के सबसे नज़दीकी स्टेशन की बात की जाये तब वह है ऋषिकेश जंक्शन और यहाँ से केदारनाथ की दुरी है 220 किलोमीटर और इस दुरी को आप अपने सड़क मार्ग के जरिये बस या फिर प्रीपेड टैक्सी से पूरी कर सकते हैं।

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केदारनाथ से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • केदारनाथ मंदिर में स्तिथ शिवलिंग आम मंदिरों में स्तिथ शिवलिंग की तरह न होकर त्रिकोण आकार में है।
  • जब मंदिर ठण्ड के दिनों में 6 महीनो के लिए बंद होता है तब वैसी स्तिथि में मंदिर में स्तिथ देवताओं को उखीमठ स्तिथ ओम्कारेश्वर मंदिर ले जाया जाता है और वहीँ पूजा-पाठ किया जाता है।
  • केदारनाथ मंदिर में मन्त्रों को कन्नड़ भाषा में बोलै जाता है।
  • मंदिर की ऊंचाई 85 फ़ीट, चौड़ाई 80 फ़ीट और लम्बाई 187 फ़ीट है इसके साथ ही मंदिर की दीवारें 12 फ़ीट चौरी दीवारों से बानी है।
  • मंदिर 6 फ़ीट ऊँची स्टेज नुमा संरचना पर स्तिथ है और आश्चर्य की बात यह है की इतने ऊँचे स्थान पर तब के समय में भरी-भरकम पत्थर किस प्रकार चढ़ाये गए होंगे?
  • आपको यह जानकार हैरानी होगी की केदारनाथ मंदिर कुल 400 वर्षों तक बर्फों में दबी थी।
  • केदारनाथ मंदिर में स्तिथ शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
  • मंदिर ने कई वर्षों तक प्राकृतिक आपदाएं झेली लेकिन आज तक कभी भी मंदिर को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ।
  • ऐसी मान्यता है की केदारनाथ मंदिर की देखभाल वही पर थोड़ी दूर पर स्तिथ भैरोनाथ मंदिर द्वारा की जाती है और भक्त द्वारा इस मंदिर में भी पूजा अर्चना करना अनिवार्य माना जाता है।

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अंतिम शब्द

इस लेख में आपने केदारनाथ के बारे में पढ़ा और साथ ही इससे जुडी कुछ जानकारी आपको मिली जैसे केदारनाथ क्या है? इस मंदिर का इतिहास और साथ ही केदारनाथ कैसे पहुचें? इस लेख से जुडी किसी प्रकार की कोई सवाल या कोई विचार हो जो आप सभी लोगों से साझा करना चाहते हैं तब निचे अवश्य कमेंट करें, धन्यवाद्।

FAQs

Q: केदारनाथ यात्रा कैसे करें?

Ans: केदारनाथ की यात्रा आप तीन मध्यान ट्रैन, बस और हवाई जहाज के जरिये कर सकते हैं। पूरी जानकारी के लिए पोस्ट को पढ़ें।

Q: केदारनाथ मंदिर किसने बनवाया था?

Ans: ऐसी मान्यता है की केदारनाथ मंदिर महाभारत के पांडवों द्वारा बनाया गया था।

Q: केदारनाथ किस राज्य में है?

Ans: केदरनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्तिथ है।

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