6G तकनीक क्या है और कब आएगा? फायदे और नुकसान

सेलुलर स्मार्टफोन में इंटरनेट का भविष्य क्या होगा? जब 4G और 5G की स्पीड एक समय के बाद कम लगने लगेगी। कोई देश 5G के बाद किस तकनीक का इस्तेमाल करेगा ? इन सभी सवालों का एकमात्र जवाब है 6G। एक तरफ विश्व के 90% से ज़्यादा देश जहां 5G के इस्तेमाल की घोषण भी नहीं किया है तो वहीं दूसरी तरफ जापान और चीन ने 6G तकनीक के ऊपर रिसर्च करना शुरू भी कर दिया है।

ऐसी उम्मीद जताई जा रही है की 2030 के आते-आते पूरा विश्व 6G का इस्तेमाल करने लगेगी। इसके साथ ही साल 2022 के अंत तक 6G को लांच कर दिया जाएगा।

6G क्या है?

आसान भाषा में अगर इस समझने की कोशिश करें तब 6G तकनीक 5G का उत्तराधिकारी होगा। 6G तकनीक के तहत इंटरनेट की स्पीड 20 GB प्रति सेकंड तक की हो सकती है। 6G उच्च फ्रीक्वेंसी के जरिये हमें हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराने में कारगर होगी और इसके कारण लेटेंसी को कई हद तक कम भी किया जा सकेगा।

6G तकनीक क्या है और कब आएगा फायदे और नुकसान
6G तकनीक क्या है?

6G तकनीक की जरूरत हमें क्यों पड़ी ?

6G तकनीक की जरूरत हमें इसलिए पड़ी क्यूंकि वर्तमान में इस्तेमाल हो रहे 4G में भी हाई स्पीड इंटरनेट होने के बावजूद लेटेंसी काफी अधिक होती है। 6G के लांच होने पर Image Processing, Live Location, Artificial Intelligence जैसी तकनीक को बढ़ावा मिलेगा और इन्हे काफी तेज़ी से काम करने में भी मदद मिलेगा।

6G तकनीक के फायदे

ऐसी उम्मीद जताई जा रही है की 6G के लांच होने पर कंपनियां 1GB प्रति सेकंड की दर वाली प्लान लेकर आएगी। जो की काफी तेज़ होगी होगी और इससे लोगों को इंटरनेट से जुड़े किसी भी काम को करने में काफी सहूलियत महसूस होगी। 6G ले लांच होने पर कई सारे फायदे हैं जो हमें मिलेंगे और उन फायदों में से कुछ इस प्रकार हैं:

1. कई सारे डिवाइस हो सकेंगे कनेक्ट

6G का सबसे बड़ा फायदा लोगों को यह मिलेगा की कई सारे डिवाइस एक साथ कनेक्ट हो पाएंगे। ढेर सरे डिवाइस के कनेक्ट होने की परिस्तिथि में भी किसी का इंटरनेट कम नहीं होगा और सभी बराबर से इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकेंगे।

2. उच्च डाटा रेट्स को सपोर्ट करने में सक्षम

जैसा की आप सभी जानते हैं की 5G के इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले कोई भी डिवाइस को 5G सपोर्ट करना होता है ठीक उसी प्रकार 6G के लिए भी हाई एन्ड डिवाइस की जरूरत पड़ेगी। केवल उन्ही डिवाइस पर 6G तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकेगा माइक्रोवेव फ्रीक्वेंसी को सपोर्ट करेंगे। वर्तमान में ऐसी कोई डिवाइस मौजूद नहीं है जो 6G को सपोर्ट कर सके।

3. हेल्थ केयर सेक्टर में होगा मददगार

सबसे ज़्यादा फायदा हैल्थकारे सेक्टर में उनलोगों को होः जो अभी प्रशिक्षु हैं। रियल-टाइम में ऐसे लोग अपने क्षेत्र में काफी तेज़ी से चीज़ों को सीखेंगे और उसे लागु करेंगे। एक आम इंसान यह कल्पना कर सकता है की उसे अपने हेल्थ रिपोर्ट के लिए हफ़्तों इंतज़ार करने के बजाय चंद मिनट में उनका स्वस्थ्य सम्बन्धी रिपोर्ट उनके हाथों में होगा।

4. स्वतंत्र फ्रीक्वेंसी

6G के लिए एक खास फ्रीक्वेंसी रेंज तक किया गया है जो की 8 to 12 GHz के बिच में काम करेगी। इसकी फ्रीक्वेंसी बैंडविड्थ 3.5kHz की होगी और यह स्वतंत्र रूप से काम करेगी। इसका अर्थ है की कोई अन्य चैनल इसके साथ ओवरलैप नहीं करेगी और यही कारण है की इसकी स्पीड काफी तेज़ होगी।

5. बड़ा कवरेज

6G तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यही है की इसका कवरेज एरिया काफी बड़ा होगा। इसका अर्थ यह है की कंपनी को कम टावर्स की आवश्यकता पड़ेगी और कम टावर्स के बदौलत ही सुदूर क्षेत्र में भी लोग इंटरनेट से जुड़े रहेंगे।

6G तकनीक का नुकसान

6G तांकिक से जुडी कमियों के बारे में अभी बातें करना उतना सही नहीं होगा। इससे जुडी खामियां तो तब सामने आएगी जब इसका उपयोग व्यापक स्तर पर आमलोग कर करेंगे। चूँकि यह तकनीक अभी प्रोयग तक ही शिमित ही इसलिए इससे जुडी किसी तरह की कमियों पर स्थाई रुप से लेबल लगा देना बिल्कुल भी सही नहीं होगा।

1. महँगी

यह बात तो 100% सत्य है की 6G तकनीक और इससे जुड़े सेवाएं काफी महँगी होने वाली है। इसके पीछे का कारण है इसमें इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक, महंगे उपकरण और साथ ही इसकी खोज पर की गयी खर्च जो कहीं न कहीं आगे चलकर भविष्य में आम इंसानो से ही वसूला जाएगा।

2. प्राइवेसी से जुड़ा खतरा

तकनीक के मामले में दुनिया जिस रफ़्तार से आगे बढ़ रही है उसी रफ़्तार से लोगो पर उनकी प्राइवेसी से जुड़ा खतरा भी मंडरा रहा है। अब देखने वाली बात यह रहेगी की इस तकनीक का उपयोग आम लोग करेंगे या केवल सरकार या बड़ी-बड़ी कंपनियों तक ही यह तकनीक सिमित रह जाएग।

3. कम्पेटिबिलिटी की समस्या

6G के लांच होने पर सबसे बड़ी चुनौती लोगों के सामने यही रहेगी की क्या वर्तमान में इस्तेमाल किये जा रहे उपकरण जैसे लैपटॉप, कंप्यूटर या स्मार्टफोन पर इस तकनीक का उपयोग किया जा सकेगा? या फिर नयी उपकरण लेने की आवश्यकता पड़ेगी जो इस तकनीक को सपोर्ट कर सकेगी।

4. स्वास्थय और प्रकृति पर नकारात्मक प्रभाव

अभी तो 5G तकनीक के इस्तेमाल पर और इसके नकारात्मक प्रभाव को लेकर बहस चल रही थी की वहीं दूसरी तरफ 6G पर वैज्ञानिकों का खोज जारी है। यह बात सात प्रतिशत सत्य है की इन वायरलेस तकनीक का नकारात्मक प्रभाव सबसे ज़्यादा इंसानो और पशु-पक्षियों पर पड़ता है। उदाहरण के तौर पर आप इसे इस प्रकार भी समझ सकते हैं की उच्च-फ्रीक्वेंसी के रेडिएशन के कारण ADHD, PTSD, चक्कर आना, मितली आना और साथ ही धुंधला देखाई देने जैसी समस्या ऍम बात सी हो गयी है।

इससे उत्त्पन्न रेडिएशन के कारण गर सबसे ज़्यादा किसी जीव को नुकसान हुआ है तब वह है पक्षी, केवल 1 दशक में ही पक्षियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज़ की जा चुकी हैं और यहाँ तक की कुछ पक्षी विलुप्त होने के कगार पर आ चुके हैं।

इस बात को भी झुटलाया नहीं जा सकता की स्मार्टफोन से निकलने वाले रेडिएशन कैंसर जैसी घातक बिमारी के कारण बनते हैं।

अंतिम शब्द

इस लेख के माध्यम से आपने जाना की 6G तकनीक क्या है ? और साथ ही आपने जाना की इसके फायदे क्या हैं और इससे जुड़े नुकसान और कमियों को भी आपने जाना। लेख से सम्बंधित किसी तरह की कोई सवाल, शिकायत या सुझाव आपके मन में हो तब निचे कमेंट करके हमें अवश्य बतलायें, धन्यवाद।

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