इथेनॉल ईंधन क्या है? और कैसे बनता है? फायदे और नुकसान

आजकल पेट्रोल और डीजल ईंधन की कीमत आसमान छू रही है। इसके साथ ही यह प्रदुषण का बहुत बड़ा कारण भी बन चूका है। यही कारण है की अब इथेनॉल ईंधन के उपयोग को प्रेरित किया जा रहा है। लगभग सभी देश एकजुट होकर इस समस्या से लड़ने के लिए साथ आ रहे हैं और कई सारे अन्य विकल्प की तलाश में लगे हुए हैं। इलेक्ट्रिक वाहन और इथेनॉल ईंधन उठाये गए क़दमों के उत्तम उदाहरण हैं।

इलेक्ट्रिक वाहन के बारे में जानकारी सभी को है, लेकिन इथेनॉल ईंधन के बारे में जानकारी कुछ ही लोगों को होगी। भारत सरकार वर्तमान में दो पहिये वाहनों को इथेनॉल ईंधन पर चलाने पर काम कर रही है और ऐसी उम्मीद भी है की साल 2022 के अंत तक इससे जुड़ा फैसला सरकार ले भी लेगी।

इथेनॉल ईंधन क्या है?

इथेनॉल एक अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) का श्रोत है जिसे बायोमास के नाम से भी जाना जाता है। इथेनॉल को मुख्या रूप से विभिन्न पौधों के अपशिष्ट से तैयार किया जाता है। इथेनॉल को बनाने में मुख्यता अनाज और फसलों का उपयोग किया जाता है जिसमे स्टार्च और सर्करा की उपलब्धता अत्यधिक मात्रा में होती है।

इथेनॉल को घास, पेड़ और कृषि अवशेष जैसे चावल के भूसे, मकई के गोले, और लकड़ियों के चिप्स से भी तैयार किया जाता है।

इथेनॉल पेट्रोल ईंधन क्या है और कैसे बनता है फायदे और नुकसान
इथेनॉल पेट्रोल ईंधन क्या है और कैसे बनता है फायदे और नुकसान

इथेनॉल का उत्पादन कैसे किया जाता है?

ईंधन इथेनॉल का दो तरह से उत्पादन किया जाता है:

  • फर्मेंटेशन
  • सेलुलोसिस इथेनॉल

फर्मेन्टेशन

इथेनॉल प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका है, मकई, गणना, और चुकंदर को यीस्ट या कहें खमीर का उपयोग करके स्टार्च और शर्करा को किण्वित या फरमेंट करके किया जाता है। अमेरिका में मकई को इथेनॉल ईंधन का एक प्रमुख फीड स्टॉक मन जाता है, क्यूंकि इसकी उपलब्धता प्रचुर मात्रा में है और इसकी कीमत भी काफी कम होती है।

वहीँ दुनिया के अन्य हिस्सों में इथेनॉल ईंधन बनाने हेतु गन्ना और चकुंदर का उपयोग किया जाता है। ब्राज़ील, अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है, जहां इथेनॉल ईंधन का भरी मात्रा में उपयोग किया जाता है। यहां तक की ब्राज़ील की सड़कों चलने वाली ज़्यादातर गाड़ियों में इथेनॉल ईंधन या फिर इथेनॉल और पेट्रोल के मिश्रण का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।

सेलुलोसिस इथेनॉल

यह एक अन्य प्रक्रिया है जिसके जरिये इथेनॉल ईंधन को बनाया जाता है। इसमें पेड़ के रेशों से सेल्यूलोस तोड़कर इथेनॉल का उत्पादन किया जाता है। आपको बता दें की इस सल्लुलोसिस इथेनॉल ईंधन को उन्नत ईंधन माना गया है, लेकिन इसे बनाने की प्रक्रिया फेरमेंटशन की तुलना में जटिल और महँगी है।

पेड़, घास और कृषि अवशेषों को सेलुलोसिस इथेनॉल बनाने का मुख्य फीड स्टॉक माना गया है और इन फसल की खेती वैसी भूमि पर भी सम्भव हैं जहाँ खाद्य फसलों की खेती नहीं की जा सकती।

इथेनॉल ईंधन के फायदे

एथनॉल ईंधन कैसे बनाया जाता है इस प्रक्रिया को तो आपने जान लिया। लेकिन इथेनॉल ईंधन के क्या फायदे हैं और यह किस तरह से बाकी अन्य ईंधन से लाभकारी है। इसकी भी जानकारी होनी उतनी ही आवश्यक है।

1. अन्य ईंधन की तुलना में सस्ती

इथेनॉल ईंधन अन्य किसी भी प्रकार की ईंधन की तुलना में काफी सस्ती होती है। इसके पीछे का मुख्य कारण है गन्ने और मकई की खेती, जो कि लगभग सभी बड़े विकसित और विकाशील देशों में की जाती है। जीवाश्म ईंधन की उपलब्धता सभी देशों में नहीं है और अगर कुछ विकाशील देशों में इसकी उप्लभ्दता है भी तब उनके पास इतने पैसे नहीं हैं की वो वह से जीवाश्म ईंधन की निकाशी करके उसे शुद्ध करें और फिर उसका उपयोग करें।

2. प्रदुषण कम करने में प्रभावी

इथेनॉल ईंधन की सबसे बड़ी खासियत यही है की ये पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता। पेट्रोल या डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन की तुलना में यह प्रदूषण को कम करने काफी प्रभावी है। इस ईंधन का वाहनों में उपयोग करने के पश्चात यह पर्यावरण में दूषित गैसों का फैलने का कारण नहीं बनता।

कई देशो में इथेनॉल और पेट्रोल का मिश्रण करके भी ईंधन तैयार किया जाता है। जिसमे इथेनॉल और पेट्रोल का अनुपात 85:15 का होता है। अर्थात इतने से कम मात्रा में पेट्रोल का इस्तेमाल केवल इग्निटर के रूप में किया जाता है जो काफी कम प्रदूषण फैलाता है।

3. ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मददगार

एक तरफ जहां जीवाश्म ईंधन का बहु उपयोग ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है। जिससे अब शायद ही विश्व में कोई देश अछूता हो। तो वहीँ दूसरी तरफ इथेनॉल के उपयोग से केवल कार्बन-डाई ऑक्साइड और पानी वातवरण में निकलता है। इससे निकलने वाले कार्बन-डाई-ऑक्साइड पर्यावरण के लिए उतने नुकसानदाई नहीं होते।

4. उपलब्धता

इथेनॉल एक जैव ईंधन है और यह लगभग सभी के लिए आसानी से उपलब्ध है। जैव ईंधन का अर्थ है गन्ना, मकई और अन्य पेड़ों से तैयार किया गया ईंधन। इथेनॉल को बनाने में उपयुक्त ओने वाली चीज़ें लगभग सभी देशों के पास उपलब्ध है। यही कारण है की इसकी उपलब्धता को लेकर कहीं कोई कमी नहीं है।

5. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम

बायोमास से तैयार हुए ईंधन के कारण कई देशों की जीवाश्म ईंधन की निर्भरता कम हो जाएगी। इस कारण कई देश जीवाश्म ईंधन के आयत में कचाती करेंगे और इससे होने वाली बचत का उपयोग अपने देश की अर्थव्यवस्था को और बेहतर करने में करेंगे।

6. बंजर या अप्रयुक्त कृषि भूमि का भी उपयोग हो सकेगा

जैसा की आप अब जानते हैं की जैविक ईंधन का मुख्य श्रोत कृषि और इसे जुड़े फसल हैं, जिनमे सेल्यूलोस और सर्करा की मात्रा अत्यधिक होती है। इस वजह से कुछ किसान जिनकी भूमि बंजर या कम उपजाऊ हैं वो भी इन फसलों की खेती कर सकेंगे, जिससे रोजगार का सृजन तो होगा ही साथ में ऐसी अप्रयुक्त भूमि का भी बेहतर ढंग से उपयोग हो सकेगा।

7. हयड्रोजन का श्रोत

वैसे तो इथेनॉल एकल रूप में पूर्ण रूप से एक ईंधन की तरह उपयोगी नहीं है। लेकिन दुनियाभर के वैज्ञानिक इसे और बेहतर करने की और अग्रसर हैं और इसकी खोज में लगे हुए हैं। वहीँ कुछ शोधकर्ता ईंधन के इस श्रोत को हयड्रोजन में परिवर्तित करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे इस ईंधन का और भी कई क्षेत्रों में उपयोग संभव हो सकेगा।

इथेनॉल ईंधन का नुकसान या कमियां

आपने इथेनॉल ईंधन से जुड़े फायदों के बारे में तो पढ़ा। लेकिन इससे इथेनॉल ईंधन के भी कई सरे नुकसान है, जिसकी जानकारी लोगों को होनी ही चाहिए। इथेनॉल ईंधन का नुकसान या कमियां कुछ इस प्रकार है।

1. आसवन प्रक्रिया पर्यावरण के नुकसानदायक

अस्वन प्रक्रिया या कहें Distillation Process में काफी ज़्यादा समय लगता है और इस प्रक्रिया में काफी ज़्यादा गर्मी की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन इस प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाली गर्मी आमतौर जीवाश्म ईंधन से ली जाती जो वातावरण में काफी मात्रा में ग्रीन हाउस गैसें छोड़ती है। इससे वातावरण प्रदूषित होता है।

2. बड़ी भूमि की आवश्यकता

इथेनॉल को बनाने में प्रयुक्त होने वाले सामग्री सभी खेतों से आते हैं। इथेनॉल का मुख्य श्रोत है गन्ना, मकई इत्यादि और इन फसलों की खेती करने लिए काफी ज़्यादा भूमि आवश्यकता पड़ती है। कई सारे देश ऐसे हैं जिनके पास फसल करने योग्य भूमि की किल्लत है। तब ऐसे हालत में उन देशों को इथेनॉल भी दूसरे बड़े देशों से ही आयत करने की जरूरत पड़ती है।

3. खाद्य कीमतों में तेज़ी

अर्थव्यवस्था के डिमांड और सप्लाई के नियम से आप सभी वाकिफ होंगे। ये डिमांड और सप्लाई का कांसेप्ट इथेनॉल ईंधन पर भी लागू होता है। जैसे-जैसे इथेनॉल की मांग बढ़ेगी वैसे-वैसे इसे बनाने में प्रयुक्त होने वाले अनाज की मांग बढ़ेगी और इसका सीधा सा अर्थ है की बाजार में ऐसे अनाजों की कहीं न कहीं कमी होगी जिससे इसकी मांग अत्यधिक हो जाएगी और स्वतः ही इन अनाजों से बनाने वाले खाद्य पदार्थों की कीमतों में काफी तेज़ी आएगी।

4. पानी की कमी

सुद्ध इथेनॉल में पानी को आकृषित या सोखने की काफी ज़्यादा क्षमता होती है। ये अपने आस-पास वातावरण में मौजूद पानी को काफी तेज़ी से सोखती है। यह तथ्य पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण पर भी लागू होता है। इसलिए इथेनॉल को चाहते हुए भी सुद्ध रूप में अर्जित करना मुश्किल भरा काम होता है।

अंतिम शब्द

इस लेख के माध्यम से आपने जाना की इथेनॉल पेट्रोल ईंधन क्या है? और कैसे बनता है? साथ ही अंत में आपने इसके फायदे और नुकसान को जाना। लेख से सम्बंधित किसी तरह की कोई सवाल, शिकायत या सुझाव आपके मन में हो तब निचे कमेंट करके हमें अवश्य बतलायें, धन्यवाद।

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