एकादशी (Ekadashi) अर्थात ग्यारस (Gyaras) कब है? ये जानने से पहले हमारे लिए ये जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है की आखिर एकादशी क्या है? इस लेख में एकादशी की तिथि की जानकर समय के साथ होने के अलावा आप ये भी जानोगे की आखिर इसे कब मनाया जाता है, इसका महत्व क्या और एकादशी का वैज्ञानिक तथ्य क्या है?
फाल्गुन एकादशी कब है? | Amalaki Ekadashi (Gyaras) Kab Hai
साल 2023 में March के फाल्गुन महीने की एकादशी अर्थात ग्यारस की तिथि, समय और दिन कुछ इस प्रकार है।
अंग्रेजी तिथि | 18 मार्च 2023 |
पंचांग महीना | चैत्र महीना |
दिन | शनिवार |
एकादशी का प्रकार | पापमोचनी एकादशी | Papmochani Ekadashi |
समय | 17 मार्च (02:06 PM) – 18 मार्च (11:13 AM) |
आज एकादशी कब तक है 2022?
आज यानी मार्च 2023 में पौष बैकुंठ एकादशी 01 जनवरी को शाम 07:11 PM से 02 जनवरी को शाम 08:23 PM तक है।
पिछला एकादशी कब हुआ था?
साल 2023 में पिछले एकादशी की तिथि, समय और दिन कुछ इस प्रकार थी।
अंग्रेजी तिथि | 03 मार्च 2023 | |
पंचांग महीना | फाल्गुन महीना |
दिन | शुक्रवार |
एकादशी का प्रकार | अम्बालिका एकादशी | Ambalika Ekadashi |
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‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’
साल 2023 में एकादशी(Ekadashi) की सूची Part 1 | Ekadashi List 2023
साल 2023 में होने वाले एकादशी की तिथि, समय के साथ कुछ इस प्रकार है:.
महीना | एकादशी | अंग्रेजी तिथि | दिन | समय |
पौष | पौष एकादशी (वैकुण्ठ एकादशी) | 02 जनवरी 2023 | सोमवार | 01 जनवरी (07:11 PM) – 02 जनवरी (08:23 PM) |
माघ | षटतिला एकादशी | 18 जनवरी 2023 | बुधवार | 17 जनवरी (06:05 PM) – 18 जनवरी (04:03 PM) |
माघ | जया एकादशी | 01 फ़रवरी 2023 | बुधवार | 31 जनवरी (11:53 AM) – 01 फरवरी (02:01 PM) |
फाल्गुन | विजया एकादशी | 16 फरवरी 2023| गुरुवार | 16 फरवरी (05:32 AM) – 17 फरवरी (02:49 AM) |
फाल्गुन | गौण विजय एकादशी / वैष्णव विजया एकादशी | 17 फरवरी 2023 | शुक्रवार | 16 फरवरी (05:32 AM)- 17 फरवरी (02:49 AM) |
फाल्गुन | अम्बालिका एकादशी | 03 मार्च 2023 | शुक्रवार | 02 मार्च (06:39 AM) – 03 मार्च (09:11 AM) |
चैत्र | पापमोचनी एकादशी | 18 मार्च 2023 | शनिवार | 17 मार्च (02:06 PM) – 18 मार्च (11:13 AM) |
चैत्र | कामदा एकादशी | 01 अप्रैल 2023 | शनिवार | 01 अप्रैल (01:58 AM) – 02 अप्रैल (04:19 AM) |
चैत्र | वैष्णव कामदा एकादशी | 02 अप्रैल 2023 | रविवार | 01 अप्रैल (01:58 AM) – 02 अप्रैल (04:19 AM) |
वैशाख | वरूथीनि एकादशी | 16 अप्रैल 2023 | रविवार | 15 अप्रैल (08:45 PM) – 16 अप्रैल (06:14 PM) |
वैशाख | मोहिनी एकादशी | 01 मई 2023 | सोमवार | 30 अप्रैल (08:28 PM) – 01 मई (10:09 PM) |
ज्येष्ठ | अपरा एकादशी | 15 मई 2023 | सोमवार | 15 मई (02:46 AM) – 16 मई (01:03 AM) |
साल 2022 में एकादशी(Ekadashi) की सूची Part 1
हिन्दू पंचांग के अनुसार साल 2022 में जनवरी से मई महीने के बिच पड़ने वाले सभी एकादशी की सूची दिन, समय और अंग्रेजी तिथि के अनुसार नीचे दी गयी है।
महीना | एकादशी | अंग्रेजी तिथि | दिन | समय |
पौष | पौष एकादशी (वैकुण्ठ एकादशी) | 13 जनवरी 2022 | गुरुवार | 12 जनवरी (4:49 PM) – 13 जनवरी (07:32 PM) |
माघ | षटतिला एकादशी | 28 जनवरी 2022 | शुक्रवार | 28 जनवरी (02:16 AM) – 28 जनवरी (11:35 PM) |
माघ | जया एकादशी | 12 फ़रवरी 2022 | शनिवार | 11 फरवरी (01:52 PM) – 12 फरवरी (04:27 PM) |
फाल्गुन | विजया एकादशी | 26 फरवरी 2022 | शनिवार | 26 फरवरी (10:49 AM) – 27 फरवरी (08:12 AM) |
फाल्गुन | गौण विजय एकादशी / वैष्णव विजया एकादशी | 27 फरवरी 2022 | रविवार | 26 फरवरी (10:39 AM)- 27 फरवरी (08:12 AM) |
फाल्गुन | अम्बालिका एकादशी | 14 मार्च 2022 | सोमवार | 13 मार्च (10:21 AM) – 14 मार्च (12:05 PM) |
चैत्र | पापमोचनी एकादशी | 28 मार्च 2022 | सोमवार | 27 मार्च (06:04 PM) – 28 मार्च (04:15 PM) |
चैत्र | कामदा एकादशी | 12 अप्रैल 2022 | मंगलवार | 12 अप्रैल (04:30 AM) – 13 अप्रैल (05:02 AM) |
चैत्र | वैष्णव कामदा एकादशी | 13 अप्रैल 2022 | बुधवार | 12 अप्रैल (04:30 AM) – 13 अप्रैल (05:02 AM) |
वैशाख | वरूथीनि एकादशी | 26 अप्रैल 2022 | मंगलवार | 26 अप्रैल (01:37) – 27 अप्रैल (12:47) |
वैशाख | मोहिनी एकादशी | 12 मई 2022 | गुरुवार | 11 मई (07:31 PM) – 12 मई (06:51 PM) |
ज्येष्ठ | अपरा एकादशी | 26 मई 2022 | गुरुवार | 25 मई (10:32 AM) – 26 मई (10:54 AM) |
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साल 2022 में एकादशी (Ekadashi) की सूची Part 2
हिन्दू पंचांग के अनुसार साल 2022 में जून से दिसंबर महीने के बिच पड़ने वाले सभी एकादशी की सूची दिन, समय और अंग्रेजी तिथि के अनुसार नीचे दी गयी है।
महीना | अंग्रेजी तिथि | दिन | समय |
ज्येष्ठ | निर्जला एकादशी | 10 जून 2022 | शुक्रवार | 10 जून (07:25 AM) – 11 जून (05:45 AM) |
ज्येष्ठ | गौना निर्जला एकादशी, वैष्णव निर्जला एकादशी | 11 जून 2022 | शनिवार | 10 जून (07:25 AM) – 11 जून (05:45 AM) |
आषाढ़ | योगिनी एकादशी | 24 जून 2022 | शुक्रवार | 23 जून (09:41 PM) – 24 जून (11:12 PM) |
आषाढ़ | देवश्यनी एकादशी | 10 जुलाई 2022 | रविवार | 09 जुलाई (04:39 PM) – 10 जुलाई (02:13 PM) |
श्रावण | कामिका एकादशी | 24 जुलाई 2022 | रविवार | 23 जुलाई (11:27 AM) – 24 जुलाई (01:45 PM) |
श्रावण | श्रवण पुत्रदा एकादशी | 8 अगस्त 2022 | सोमवार | 07 अगस्त (11:50 PM) – 08 अगस्त (09:00 PM) |
भाद्रपद | अजा एकादशी | 23 अगस्त 2022 | मंगलवार | 22 अगस्त (03:35 AM) – 23 अगस्त (06:06 AM) |
भाद्रपद | परस्व एकादशी | 6 सितंबर 2022 | मंगलवार | 06 सितंबर (05:54 AM) – 07 सितंबर (03:04 AM) |
भाद्रपद | वैष्णव परस्व एकादशी | 7 सितंबर 2022 | बुधवार | 06 सितंबर (05:54 AM) – 07 सितंबर (03:04 AM) |
अश्विन | इंदिरा एकादशी | 21 सितंबर 2022 | बुधवार | 20 सितंबर (09:26 PM) – 21 सितंबर (11:34 PM) |
अश्विन | पापांकुशा एकादशी | 06 अक्टूबर 2022 | गुरुवार | 05 अक्टूबर (12:00 PM) – 06 अक्टूबर (09:40 AM) |
कार्तिक | रमा एकादशी | 21 अक्टूबर 2022 | शुक्रवार | 20 अक्टूबर (04:04 PM) – 21 अक्टूबर (05:22 PM) |
कार्तिक | देवउत्थाना एकादशी | 04 नवंबर 2022 | शुक्रवार | 03 नवंबर (07:30 PM) – 04 नवंबर (06:08 PM) |
मार्गशीर्ष (अगहन) | उत्पन्न एकादशी | 20 नवंबर 2022 | रविवार | 19 नवंबर (10:29 AM) – 20 नवंबर (10:41 AM) |
मार्गशीर्ष (अगहन) | मोक्षदा एकादशी | 03 दिसंबर 2022 | शनिवार | 3 दिसंबर (05:39 AM) – 4 दिसंबर (05:34 AM) |
मार्गशीर्ष (अगहन) | वैष्णव मोक्षदा एकादशी, गुरुवायुर एकादशी | 04 दिसंबर 2022 | रविवार | 3 दिसंबर (05:39 AM) – 4 दिसंबर (05:34 AM) |
पौष | सफला Ekadashi | 19 दिसंबर 2022 | सोमवार | 19 दिसंबर (03:32 AM) – 20 दिसंबर (02:32 AM) |
एकादशी(Ekadashi) क्या है?
संस्कृत में ‘एकादश’ शब्द का अर्थ होता है ग्यारह (11), अर्थात हिन्दू पंचांग के अनुसार ग्यारहवां दिन। हमारी काल गणना दो पक्ष होते हैं, पहला शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्णा पक्ष। शुक्ल पक्ष का अर्थ होता है, जब चन्द्रमा पूर्णिमा की ओर जा रहा हो और कृष्ण पक्ष का अर्थ होता है जब चन्द्रमा पूर्णिमा से अमावश्या की ओर जा रहा हो।
शुक्ल पक्ष और कृष्णा पक्ष की यह काल गणना 15-15 दिनों की होती है। इनदोनो गणना में जो ग्यारहवां दिन होता है, वही एकादशी अथवा एकादश कहलाता है।
एकादशी कौन है?
हमारे ग्रंथो के द्वारा हमें इस बात की जानकारी होती है की, जितने भी देवी और देवता हैं। सबकी अपनी-अपनी पहचान और सबकी अपनी-अपनी एक रूप भी है। ठीक उसी प्रकार एकादशी का भी अपना एक रूप है।
एकादशी (Ekadashi) की एक कथा से हमें यह ज्ञात होता है की एक मोर नाम का शक्तिशाली राक्षस हुआ करता था। जिसने अपने प्रभाव से कई बार देवी-देवताओं को पराजित कर दिया था। हमेशा की तरह एक युद्ध के दौरान मोर राक्षस ने सभी देवी-देवताओं को पराजित कर दिया था।
मोर राक्षस से पराजित होने के बाद सभी देवी-देवता भगवान् श्री विष्णु के पास पहुंचे। जिसके पश्चात भगवन विष्णु ने इस अशूर के वध का इंतज़ाम किया। फिर भगवान् विष्णु ने स्वयं मोर राक्षस से युद्ध किया। भगवान् विष्णु से युद्ध में पराजित होता देख, मोर राक्षस युद्ध के मैदान से भाग खड़ा हुआ और इस तरह राक्षस ने अपनी जान बचा ली।
इसके बाद भगवान् विष्णु बद्रिका आश्रम चले गए और आराम करने लगे। इसी दौरान अपने मन में ईर्ष्या और बदले की भाव लिए मोर राक्षस भी भगवान् विष्णु का वध करने उनके पीछे-पीछे बद्रिका आश्रम पहुचें।
बद्रिका आश्रम में पहुंचते ही मोर राक्षस ने जैसे ही भगवन विष्णु को मारने के लिए तेयारी दिखाई, उसी पल भगवान् विष्णु के शरीर से उनकी स्वरूपा शक्ति अर्थात एक महिला के भेष में देवी प्रकट हुई।
देवी ने मोर राक्षस को देखकर युद्ध के लिए हुंकार भरी और एकादशी द्वारा हुंकार भरते ही मोर नाम का राक्षस मर गया। इसी के तुरंत बाद भगवान् विष्णु ने अपनी आँखें खोली और उस देवी को देखा। देवी ने अपना परिचय भगवान् विष्णु को दिया, जिससे भगवान् विष्णु काफी प्रसन्न हुए।
इसके पश्चात भगवान् विष्णु ने देवी से कहा की बताओ तुम्हे क्या चाहिए? इसका जवाब देते हुए एकादशी ने कहा की ‘हे भगवान्! मुझे आप ऐसी शक्ति दीजिये की मैं सारी तीर्थों में वास करूँ और जो लोग भी वहाँ आएं, मैं उनकी भक्ति का वर्धन करूँ और उनके पापों का नाश करूँ।’
चूँकि वो दिन ग्यारहवां (Gyaras) था, इसलिए भगवान् विष्णु ने उनका नाम एकादशी(Ekadashi) रखा और साथ ही उन्हें वरदान भी दिया।
एकादशी(Ekadashi) उपवास और विज्ञान
उपवास शब्द का आखिर अर्थ क्या है? दरअसल उप + वास में उप शब्द काअर्थ है पास और वास शब्द का अर्थ है रहना। अर्थात उपवास का अर्थ है भगवान् के नज़दीक रहना। या फिर ऐसे कहें की भगवान् के पास जाकर रहने का एक अच्छा तरीका है उपवास।
एकादशी (Ekadashi) उपवास करने का अर्थ यह नहीं है की इससे केवल भक्ति भावना जागृत होती है। बल्कि उपवास करने से हमारी सारी इन्द्रियाँ एक्टिव हो जाती है और साथ ही हमारा चंचल मन भी एकाग्रित हो जाता है। चलिए जानते हैं, एकादशी व्रत अर्थात उपवास रखने के वैज्ञानिक नजरिया क्या है?
दरअसल जीव विज्ञान के अनुसार हमारे शरीर में DNA होती है। जिसकी मौजूदगी का कोई अर्थ नहीं होता या कहें बेकार होता है, जिसके अंग्रेजी की भाषा में Junk DNA के नाम से जाना जाता है।
भले ही Junk DNA में किसी तरह की जानकारी नहीं होती। लेकिन समय के साथ ये Junk DNA खत्म होती जाती है और पूरी तरह से खत्म होने के पश्चात इंसान की मृत्यु हो जाती है। इसलिए Junk DNA एक प्रकार से इंसान की आयु निर्धारित करता है।
इसलिए Junk DNA को बचाने के लिए और इसकी टूटने की प्रक्रिया को धीमी करने के लिए प्रोटीन युक्त भोजन जैसे फल और सब्जियां काफी लाभकारी होती है। इसके अलावा उपवास रखना भी Junk DNA के टूटने की प्रक्रिया को काफी कम कर देती है।
1 साल में कितनी एकादशी होती है?
1 साल में कूल 12 महीने होते हैं और प्रत्येकल महीने 2 एकादशी पड़ती है। तब इसके अनुसार एक साल में कूल 24 एकादशी होती है। लेकिन कभी-कभी एक ही तिथि दो बार पड़ने से साल भर में एकादशी की तिथि बढ़ सकती है। जिससे 1 साल में एकादशी की संख्या 14 से 15 भी हो सकती है।
सबसे बड़ी एकादशी कौन सी है?
एकादशियों में भी सबसे बड़ी एकादशी निर्जला एकादशी होती है। प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ महीने की पहली पख में पड़ने वाली निर्जला एकादशी को सबसे बड़ी एकादशी मणि जाती है।
एकादशी पर किसकी पूजा करनी चाहिए?
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ, एकादशी में भगवान् विष्णु की पूजा की जाती है। इसके अलावा एकादशी के दिन भगवान् विष्णु की पूजा के दौरान तुलसी का चढ़ावा चढ़ाना अन्तंत शुभकारी माना जाता है।
एकादशी के दिन क्या न करे?
एकादशी के दिन किये गए पूजा-पाठ का काफी महत्व होता है। लेकिन इस दिन पूजा-पाठ करने के साथ ही कुछ चीज़ें ऐसी होती है, जिसे करने से हमें परहेज़ करनी चाहिए।
- इस दिन फूल और वृक्ष के पत्ते तोड़ने से बचें और एकादशी के एक दिन पहले ही तुलसी पत्ते को तोड़कर रख लें।
- इस दिन भूलकर भी चावल का सेवन न करें।
- एकादशी के एक दिन पूर्व ही संध्या में अपने घर पर साफ़ सफाई कर लें। एकादशी के दिन झाड़ू लगाने से बचें ऐसा करने से घर में ,मौजूद कई छोटे किट मर जाते हैं। जिससे हम पाप के भागिदार बनते हैं।
- इस दिन मास-मदिरा, प्याज़ और लहसुन का सेवन भूलकर भी नहीं करें। इसके अलावा इस दिन जौ और मसूर की दाल का भी सेवन वर्जित होता है।
- एकादशी पूजा भगवान् विष्णु को मीठा पान अर्पित किया जाता है, इसलिए इस दिन मीठा पान खाने से परहेज़ करें।
अंतिम शब्द
इस लेख में आपने जाना की साल 2022 में एकादशी कब है (Ekadshi Kab hai)? साथ ही आपने एकादशी व्रत का महत्व और विज्ञान से इसके जुड़ाव को भी जाना (Satta King)। इस लेख से सम्बंधित किसी प्रकार की कोई समस्या, सुझाव, शिकायत या सवाल आपके मन में हो तब नीचे कमेंट करके हमें जरुर बतलायें, धन्यवाद।
FAQs
Q: इस महीने की एकादशी(Ekadashi) कब की है?
उत्तर: पौष महीने की में बैकुंठ एकादशी, 02 जनवरी 2023 को है।
Q: आज एकादशी है या नहीं 2022?
उत्तर: नहीं।

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