विदेशों में पढ़ने के फायदे और नुकसान

विदेशों में पढ़ने का चलन आजकल काफी तेज़ी से बढ़ता देखा जा सकता है। ऐसे कई सारे कारण है जो यह बताने के लिए काफी हैं की आजकल के छात्र अपनी उच्च शिक्षा के लिए विदेशों का रुख आखिर क्यों कर रहे हैं। सस्ती फीस, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, कुछ नया करने का जज्बा जैसी ऐसे कई कारण हैं जो यह बताने के लिए काफी हैं की विदेशों से पढ़ाई करने के क्या-क्या फायदे हैं।

इस लेख के माध्यम से हम यहीं जानने की कोशिश करेंगे की विदेशों से पढ़ाई करने के क्या-क्या फायदे हैं और साथ ही इससे जुड़े नुकसान अथवा कमियों को भी समझने की कोशिश करेंगे।

विदेशों में पढ़ने के फायदे

वैश्वीकरण ही वह कारण है जिसके बदौलत आजकल छात्र अपने देश तक सीमित न रहकर विदेशों में पढ़ने जाते हैं और अपनी काबिलियत दिखाने का कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। केवल यही नहीं मल्टीनेशनल कंपनी में तो आजकल Cross Culture का दौर भी चला हुआ है।

जिसके जरिये कर्मचारी और मजदूरों को दूसरे देश की संस्कृति और भाषा को सिख कर कुछ नया करने का मौका मिलता है। अगर आप विदेशों में पढ़ने का मन बना रहे हैं तब आपको इससे जुड़े फायदों के बारे में अवश्य जान लें।

विदेशों में पढ़ने के फायदे और नुकसान
विदेशों में पढ़ने के फायदे और नुकसान

1. एक नयी संस्कृति सिखने का मौका

विदेशों से उच्च शिक्षा ग्रहण करने का सबसे बड़ा फायदा यह है छात्रों को Cross Culture के जरिये बहुत कुछ सिखने का मौका मिलता है। इसके साथ ही कुछ नयी जगह और उससे जुड़े इतिहास को जानना किसी के लिए भी अपने आप में ही एक बेहतर अनुभव होता है।

विदेशी विश्वविद्यालय में पढ़ने का सबसे पड़ा फायदा यह है की छात्रों को तो सबसे पहले विदेश यात्रा करने का मौका मिल जाट है। वहीँ दूसरी तरफ विदेशी विश्वविद्यालय में केवल आप ही दूसरे देश के छत्र नहीं होते बल्कि वहां और भी कई देश के छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। इसके कारण आपको अन्य दूसरे देशों की संस्कृति और भसह का भी ज्ञान हो जाता है।

2. नयी भाषाओँ का ज्ञान

अगर आप अपने देश में रहते हुए उच्च शिक्षा ग्रहण करते हो तब शायद ही आपको नयी भाषा सिखने का मौका मिले और शायद ही यह आपने रिज्यूमे के लिए फायदेमंद हो। लेकिन विदेशों में पढ़ने का सबसे बड़ा फायदा यही है की आप नयी भाषाएँ सीखते है जिससे आपका रिज्यूमे काफी मजबूत होता है और किसी बड़ी मल्टी-नेशनल कंपनी आपको रोजगार मिलने की उम्मीद भी बढ़ जाती है।

3. सिखने में स्वतंत्रता

ऐसे शायद ही कोई माता-पिता होंगे जो अपने बच्चों की प्रगति न चाहते हो। सभी माता- बच्चों से यही ख्वाइश होती है की उनके बच्चे तरक्की करें और अपने बल-बूते अपने पैरों पर खड़ा होकर अपने परिवार और कूल कर नाम रौशन करें। विदेशों में पढ़ने का सबसे बड़ा फायदा यही है की छात्रों को सिखने के लिए इतना कुछ मिलता है की वो समय से पहले ही अपने पैरों पर खड़े होने लगते हैं।

इसके साथ ही अपनी पढाई और जरूरत के खर्चे तक भी कुछ समय बाद खुद ही निकालने लगते हैं। घर से बाहर और खास कर अपने घर से बाहर निकलकर पढ़ाई करने का सीधा सा अर्थ यही होता है की छात्र अपने Comfort Zone बहार निकल कर कुछ नया करने और सिखने की जज़्बा अपना लेते हैं।

4. नए दोस्त बनाना

अपने घर और खासकर अपने देश से बाहर रहने के दौरान नए दोस्त बनाना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। विदेशों में पढ़ने का एक अन्य फायदा यह भी है की वहां विभिन्न देशों से छात्र आकर पढ़ाई करते हैं और सभी को किसी न किसी की जरूरत पड़ती है और इस कारण अन्य देश के छत्रों से दोस्ती करने में किसी को भी आसानी हो जाती है।

यही दोस्त आगे चलकर कहीं न कहीं दुनिया को देखने और उसे समझने के तरीके में आपकी ज़िन्दगी में काफी बदलाव लेकर आते हैं।

5. करियर में फायदे

विदेशों में पढ़ने का सबसे बड़ा फायदा आपके करियर को लेकर है। यहाँ पर छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है, रोजगार के नए-नए रास्ते खुलते हैं और केवल यही नहीं पढ़ाई खत्म होने के बाद भी विश्वविद्यालय और कॉलेज काफी सपोर्ट करती है। इस बात शायद ही कोई अनजान होकि की ऐसे संस्थान की मान्यता पुरे विश्व में होती है जो आपको बाकि सबसे अलग और कुछ खास बनाती है।

विदेशों में पढ़ाई करने के नुकसान और कमियां

अगर आप विदेश में रहकर पढ़ाई करने का मन बना रहे हो तब इसके लिए दोनों पहलु को जान लेना आपके लिए फायदेमंद शाबित हो सकता है। आपने विदेश में पढ़ाई करने से होने वाले फायदों को तो जान लिया तो अब इसके दूसरे पहलु यानि की इससे जुड़े नुकसान या कहें इसमें छिपी कुछ कमियों को भी जान लें। तब जाकर किसी निष्कर्ष पर निकलें और फैसला लें की आपको विदेशों में जाकर पढ़ाई करनी चाहिए भी या नहीं।

1. भाषा से समस्या

विदेशों में पढ़ने के दौरान किसी भी छात्र को शुरुआत के दिनों में सबसे अधिक अगर किसी चीज़ की समस्या होती है तब वह है भाषा की। भाषा से जुड़ी इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है बसर्ते आपको अंग्रेजी की थोड़ी सी ज्ञान होनी चाहिए और कम से कम बोलचाल के दौरान अंग्रेजी का इस्तेमाल करने आना चाहिए। क्यूंकि ऐसी परिस्तिथि में अंग्रेजी ही एकमात्र संचार का माध्यम बनता है।

दूसरी तरफ भाषा से जुड़ी समस्या तो तब होती है जब विश्वविद्यालय किसी जरूरी कोर्स को केवल अपने स्थानीय भाषा में करवाती है और आप उस कोर्स में चाहते हुए एडमिशन नहीं ले पाते।

2. हॉस्टल या घर से बाहर निकलने का डर

विदेशों में पढ़ने के दौरान शुरूआती दिनों में छात्रों की सबसे बड़ी समस्या यही होती है की वो अपने होटल या फ्लैट से बाहर निकल कर लोगों के बिच जाना पसंद नहीं करते। इसके पीछे का मनोवैज्ञानिक कारण है स्थनीय भाषा की अज्ञानता के वजह से खुद को कम आंकना और दिमाग में इस बात को बिठा लेना की लोग क्या सोचेंगे।

ऐसी किसी समस्या से बचने का एकमात्र उपाय यही है की नए दोस्त बनाएं और नए लोगों से बातें करना सीखें और खुद को उनके बिच में जाने का मौका दें इससे आपकी आत्मशक्ति भी बढ़ेगी और साथ ही आपका अकेलापन भी दूर हो जाएगा।

3. दूसरों की संस्कृति को समझना थोड़ा मुश्किल है

किसी दूसरे देश में रहकर पढ़ाई करने के दौरान वहाँ की संस्कृति को सीखना और वहां की संस्कृति का सम्मान करना होता है। शुरूआती दिनों में इस चीज़ को फॉलो करना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन समय के साथ ये साड़ी चीज़ें खुद-बा-खुद होने लगती है। इसलिए अगर आपको किसी की संस्कृति समझ में नहीं आ रही है तब उसे अपमानित न करें बल्कि ऐसे हालात में खुद को समय देकर उनकी संस्कृति को सिख लें।

4. आपातकाल की स्तिथि में परिवहन का साधन न होना

विदेशों में पढ़ने के लिए तो छात्र काफी ख़ुशी-ख़ुशी चले जाते हैं लेकिन जब घर पर किसी तरह की कोई आपातकालीन स्तिथि आती है तब वापस अपने देश आने के लिए उन्हें उसी समय वापस लौटने की सुविधा नहीं होती। इसी वजह से इस कारण को विदेशों में पढ़ने की सबसे बड़ी समस्या मानी गयी।

कई सारे परिवार अपने बच्चों को विदेश जाने से इसलिए भी मना कर देते हैं की आपातकाल की स्तिथि में वह अपने परिवार वालों के साथ खड़ा नहीं दिखेगा।

5. विदेशों में पढ़ाई काफी महँगी है

यह बात सत प्रतिशत सत्य है की विदेशों में पढ़ाई करना किसी आम माध्यम वर्गीय परिवार के लिए आज भी किसी सपने के कम नहीं है। बसर्ते उनके परिवार के किसी बच्चे को किसी भी माष्यम से छात्रवृति की सुविधा मिली हुई हो। विदेशों में पढ़ाई के दौरान प्रति सेमेस्टर कम से कम लगभग 2 लाख रूपए तक चली जाती है। इसके अलावा विदेश में रहना और खाने पिने का खर्च है वो अलग।

अंतिम शब्द

इस लेख के माध्यम से आपने जाना की विदेशों में पढ़ने के फायदे क्या हैं और इससे जुड़े नुकसान और कमियों को भी आपने जाना। लेख से सम्बंधित किसी तरह की कोई सवाल, शिकायत या सुझाव आपके मन में हो तब निचे कमेंट करके हमें अवश्य बतलायें, धन्यवाद।

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