फाल्गुन पूर्णिमा कब है? | Falgun Purnima List February 2023

Purnima Kab hai? ये जानने से पहले हमारे लिए ये जानलेना भी उतना ही महत्वपूर्ण है की आखिर पूर्णिमा शब्द का मतलब क्या है? इसके अलावा पूर्णिमा का विज्ञान से संबंध, इसका महत्व और साथ ही पूर्णिमा पूजन और इसमें किये जाने वाले उपवास आदि की जानकारी इस लेख में नीचे दी गयी है।

पूर्णिमा (Purnima) का मतलब | February Purnima in Hindi

आपको बता दूँ, पूर्णिमा एक भारतीय और नेपाली शब्दों का मिश्रण है। जिसका अर्थ है पूर्ण चंन्द्रमा। पूर्णिमा को लोग पूर्णमाशी के नाम से भी जानते हैं। पूर्णमाशी के दिन चाँद अपने पुरे आकार में होता है। अर्थात पूर्णिमा के दिन चाँद का पूरा आकार पृथ्वी पर दिखाई पड़ता है।

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Falgun Purnima अर्थात पूर्णमाशी कब है? | Purnima March 2022

साल 2023 में पड़ने वाले पहले फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि, समय और दिन कुछ इस प्रकार है।

अंग्रेजी तिथि 07 मार्च 2023
पंचांग महीना फाल्गुन पूर्णिमा व्रत
पर्व/त्यौहार छोटी होली, होलिका दहन, वसंत पूर्णिमा
दिन मंगलवार
समय 06 मार्च को शाम 04:17 से
07 मार्च को शाम 06:10 तक
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पौष पूर्णिमा पुजा सामाग्री List

कार्तिक पूर्णिमा में पूजा करने के लिए जरूरत पड़ने वाले आवश्यक पूजा सामग्री की सूची अर्थात List .

क्रमांक पूजा सामन/सामग्री
1.एक लोटा जल
2.रोड़ी
3.सिन्दूर
4.चन्दन (शालिग्राम भगवान् के लिए)
5.अक्षत
6.कलावा
7.लौंग
8.कपूर
9.देशी घी का दिया (आरती के लिए)
10.धुप बत्ती
11.धुप (हवन के लिए)
12.फूल माला
13.फूल
14.गाय की गोबर से बना उपला (हवन)
15.एक मिटटी का पात्र
16.बताशा (हवन में अर्पित करने के लिए)
17.सुद्ध देशी घी (हवन में अर्पित करने के लिए)
18.भोग के लिए: हलवा-पूरी या खीर-पूरी
19.फल: केला, सेव्
20.मिठाई: बेसन की लड्डू और कोई एक सफ़ेद मिठाई
21.महावर या आलता (माता को लगाने के लिए)
22.शालिग्राम (भगवान को अर्पित करने के लिए तुलसी पत्ते)
23.हल्दी (माता तुलसी को अर्पित करने के लिए)
24.श्रृंगार
25.एक चुनरी
26.कुछ छुट्टे पैसे (दक्षिणा)
27.शुद्ध देशी घी में सूत के धागे से बना एक दीपक
29.दीपदान करने के लिए 5 साधारण दीपक

साल 2023 में पूर्णिमा की सूची

हिन्दू पंचांग के अनुसार साल 2023 में जनवरी से दिसंबर महीने के बीच पड़ने वाली सभी पूर्णिमा की सूची दिन, समय, पर्व-त्यौहार, अंग्रेजी तिथि के साथ नीचे दी गयी है।

हिन्दू महीना अंग्रेजी तिथि समय पर्व/त्यौहार
पौष पूर्णिमा व्रत06 जनवरी 2023 | शुक्रवार06 जनवरी को सबह 02:14 से
07 जनवरी को सुबह 04:37 तक
शाकंबरी पूर्णिमा
माघ पूर्णिमा व्रत05 फरवरी 2023 | रविवार04 फरवरी को शाम 09:30 से
05 फरवरी को रात 11:58 तक
गुरु रविदास जयंती
फाल्गुन पूर्णिमा व्रत07 मार्च 2023 | मंगलवार06 मार्च को शाम 04:17 से
07 मार्च को शाम 06:10 तक
छोटी होली, होलिका दहन, वसंत पूर्णिमा
चैत्र पूर्णिमा व्रत05 अप्रैल 2023 | बुधवार05 अप्रैल को सबह 09:19 से
06 अप्रैल को सुबह 10:14 तक
हनुमान जयंती
वैशाख पूर्णिमा व्रत05 मई 2023 | शुक्रवार04 मई को रात 11:44 से
05 मई को रात 11:03 तक
बुद्ध पूर्णिमा, कर्मा जयंती
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत03 जून 2023 | शनिवार03 जून को सबह 11:16 से
04 जून को सुबह 09:11 तक
वट पूर्णिमा व्रत
आसाढ़ पूर्णिमा व्रत03 जुलाई 2023 | सोमवार02 जुलाई को शाम 08:21 से
03 जुलाई को शाम 05:08तक
गुरु पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा
अधिका पूर्णिमा व्रत01 अगस्त 2023 | मंगलवार01 अगस्त को सबह 03:51 से
02 अगस्त को रात 12:01 तक
अधिका पूर्णिमा व्रत
श्रावण पूर्णिमा व्रत30 अगस्त 2023| बुधवार30 अगस्त को सबह 10:58 से
31 अगस्त को सुबह 07:05 तक
राखी, रक्षा बंधन
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत29 सितंबर 2023 | शुक्रवार28 सितंबर को शाम 06:49 से
29 सितंबर को शाम 03:27 तक
पूर्णिमा श्रद्धा, पितृपक्ष की शुरुआत
आश्विन पूर्णिमा व्रत28 अक्टूबर 2023 | शनिवार28 अक्टूबर को सुबह 04:17 से
29 अक्टूबर को रात 01:53 तक
कोजागर पूजा, शरद पूर्णिमा
कार्तिक पूर्णिमा व्रत27 नवंबर 2023 | सोमवार26 नवंबर को शाम 03:53 से
27 नवंबर को शाम 02:45 तक
कार्तिक पूर्णिमा
अगहन(मार्गशीर्ष) पूर्णिमा व्रत26 दिसंबर 2023 | मंगलवार26 दिसंबर को सुबह 05:46 से
27 दिसंबर को सुबह 06:02 तक
दत्तात्रेय जयंती
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पूर्णिमा पूजन | Purnima in Hindi

पूर्णिमा (Purnima) के दिन आमतौर लोग अपने आस-पास मौजूद किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पण करने की परंपरा काफी प्रचलित है। जिसमे भारत की सांसे लंबी नदी गंगा के प्रमुख घाटों पर लाखों की संख्या में भीड़ का होना आम बात है।

इसके आलावा पूर्णिमा के दिन लोग अपने-अपने घरों में अपने हित के लिए भगवान् विष्णु या फिर भगवान शिव की भी पूजा अर्चना करते हैं। जिसमे आमतौर पर भगवान् विष्णु के आराधना करने के लिए लोग सत्यनारायण की कथा सुनते हैं।

पूर्णिमा के दिन की जाने वाली पूजा के लिए कुछ विशेष प्रक्रिया नहीं होती। इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने के लिए लोग पुरे दिन का उपवास रखते हैं और शाम में कथा सुनते हैं। इसके अलावा पूजा के बाद दिन में एक बार भोजन की अनुमति होती है। जो की भक्त पर निर्भर करती है।

यहां ध्यान देने वाली बात यह है की इसदिन खाये जाने वाले भोजन में नमक और अनाज का प्रयोग नहीं होता। एक समय भोजन के तौर पर फल का ग्रहण करना ही सही होता है।

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पूर्णिमा (Purnima) का महत्व

हिन्दू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा का प्रत्येक महीना किसी न किसी त्यौहार से जुड़ा होता है। इसका सीधा सा अर्थ यह है की साल के बारहों पूर्णिमा किसी न किसी त्यौहार और अवसर को अवश्य चिन्हित करता है।

पूर्णिमा की चमक रात के अंधकार को हटाने और प्रभा का प्रभा का प्रतिक माना जाता है। केवल यही नहीं पुर्णिमा बहुतायत, समृद्धि और परिपूर्णता का भी प्रतीक है।

इसके आलावा पूर्णिमा का दिन इसलिए भी ख़ास है, क्यूंकि भगवान् बुध की ही भाँती कई हिन्दू देवी और देवताओं का जन्म भी पूर्णिमा के दिन ही हुआ है। जैसे मान्या और दत्तात्रेय ने।

पूर्णिमा (Purnima) और विज्ञान

विज्ञान की दृष्टि से हमें इस बात का ज्ञात होता है की पूर्णिमा के दिन पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल अपनी अधितम सिमा पर होता है। जो मनुष्य जाती पर बेहद ही सकारात्मक प्रभाव डालता है। इस दिन मनुष्य जाती के शरीर में मेटाबोलिज्म का संतुलन काफी अद्भुत्त होता है। इसके अलावा पूर्णिमा के दिन शारीरिक समता और मन का संतुलन भी काफी अच्छी होती है।

पूर्णिमा उपवास के लाभ

उपवास अर्थात Fast एक वैज्ञानिक प्रक्रिया जिसका पूर्णिमा (Purnima) के दिन काफी ज़्यादा महत्व भी होता है। विशेष रूप से पूर्णिमा के दिन उपवास रखने से हमारे शरीर और मन पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पूर्णिमा के दिन उपवास रखने के महत्वपूर्ण फायदे कुछ इस प्रकार हैं:

  • शरीर में एसिड की मात्रा नियंत्रित होती है।
  • धीरज शक्ति को बढ़ाती है।
  • पाचन तंत्र को ठीक करता है।
  • सबसे महत्वपूर्ण उपवास के रूप में हमारे शरीर और मन को आराम करने का मौका भी मिल जाता है।

महीने में कितनी बार पूर्णिमा आती है?

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक महीने में पूर्णिमा एक बार आता है। पूर्णिमा के दिन से ही हमें शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की जानकारी प्राप्त होती है। पूर्णिमा के पहले वाले 14 दिन शुक्ल पक्ष कहलाते हैं। जबकि पूर्णिमा के बाद वाले दिन कृष्ण पक्ष कहलाते हैं?

Purnima के दिन क्या न करें?

अगर आप भी पूर्णिमा के पूजन या व्रत करते हो और अगर नहीं भी करते हो, तब भी आपको निचे दिए गए इन कामों को बिल्कुल भी नहीं करने चाहिए।

  • पूर्णिमा के दिन भूल कर भी मास-मदिरा के सेवन बिल्कुल भी न करें। खासकर वैसे लोग जिनकी कुंडली में चंद्र ग्रह खराब हो उन्हें भूलकर भी मास-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। वरना ऐसा करने पर इन्ही मानसिक पीड़ा और कस्ट हो सकती है।
  • पूर्णिमा वाले दिन अपने घर में शांति बनाये रखें और आपसी कलेश या झगड़ो से बचें।
  • खासकर पूर्णिमा वाले दिन गर्भवती महिलायें शिवलिंग पर जल चढाने से बचें।
  • इस दिन अपने घर में कचरा फैलाने से बचें अर्थात घर की साफ़-सफाई पर जरूर ध्यान दें।

अंतिम शब्द

इस लेख में आपने जाना की आखिर पूर्णिमा कब है (Purnima kab hai)? साथ ही आपने साल 2022 में पड़ने वाले सभी पूर्णिमा तिथि को भी जाना। इसके अलावा पूर्णिमा पूजन और पूर्णिमा उपवास से जुड़ी जानकारी भी अपने प्राप्त की। इस लेख से संबंधित किसी प्रकार की कोई शिकायत, सुझाव या सवाल आपके मन में हो तब निचे कमेंट करके हमें जरूर बतलायें, धन्यवाद।

FAQs

Q: आज पूर्णिमा है क्या 2023?

उत्तर: अगली पूर्णिमा 05 फरवरी 2023 को है।

Q: इस महीने की पूर्णिमा कब है 2023?

उत्तर: इस महीने की पूर्णिमा 05 फरवरी 2023 दिन रविवार को है।

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