रक्षाबंधन कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है? शुभ मुहूर्त, मंत्र और महत्व

रक्षाबंधन एक ऐसा त्यौहार जो केवल भाई और बहन के बिच के प्यार को और मजबूत धागों से बांधता है और साथ ही इसे और मजबूत करता है। रक्षाबंधन में किसी भाई की कलाई पर बंधी राखी इस बात को दर्शाता है की वह अपने बहन की रक्षा के लिए हमेसा तत्पर है और कभी किसी भी हालात में अपनी बहन की रक्षा अवश्य करेगा। इस लेख में आपको रक्षाबंधन से जुड़ी हर वह जानकारी जैसे रक्षाबंधन का इतिहास, इसका महत्व और साथ ही अन्य कई प्रकार की जानकारियां।

रक्षाबंधन कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है शुभ मुहूर्त, मंत्र और महत्व
थाली रक्षाबंधन के लिए

रक्षाबंधन क्या है?

रक्षाबंधन यह दो शब्द ‘रक्षा’ और बंधन का मिलाकर बनाया गया शब्द है जहाँ रक्षा का अर्थ है ‘सुरक्षा’ बंधन का अर्थ है बांधना। संस्कृत में इस अर्थ की बात अगर करें तब इसका अर्थ है ‘सुरक्षा की गाँठ’। यह त्यौहार भाई-बहन के अनमोल रिश्ते के प्यार का प्रतिक माना जाता है जो की केवल खून के रिश्तों तक ही अब सिमित नहीं रहा है। यह चचेरे, ममेरे, और फुफेरे भाई-बहन के बिच भी मनाया जाता है।

यह एक ऐसा त्यौहार है जो केवल एक राष्ट्र की सिमा तक सिमित न रहकर नेपाल जैसे देशों में भी भाई बहन के इस प्यार के बंधन रक्षाबंधन को लोग धूम धाम से मनाते हैं।

रक्षाबंधन त्यौहार का महत्व

इन त्योहारों का हमारे देश भारत में भिन्न प्रकार के धर्मो के लिए अलग-अलग मायने हैं:

हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन का महत्व: आप इस त्यौहार के महत्व का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं की इस त्यौहार को केवल भारत में रहे हिन्दू ही नहीं बल्कि मॉरिशस, नेपाल और पकिस्तान जैसे देशों में रह रहे हिन्दू धर्म को मानाने वाले लोग भी मनाते हैं।

सिख धर्म में रक्षाबंधन का महत्व: भाई बहन के प्यार को दर्शाता यह त्यौहार सिखों द्वारा रखरदि और रखड़ी के रूप में मनाया जाता है।

जैन धर्म में रक्षाबंधन का महत्व: इस त्यौहार को केवल हिन्दू ही जैन धर्म को मानने वाले और उसका प्रतिपालन करने वाले भी इसे मनाते हैं। जैन धर्म के पुजारी अपने भक्तों को धागा देकर इस त्यौहार को मनाते हैं।

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?

आपके मन में कभी न कभी यह सवाल जरूर आया होगा की आखिर यह रक्षाबंधन हम क्यों मनाता है? लेकिन साथ में आप इस बात से भी वाक़िफ़ होंगे की हर एक त्यौहार के पीछे कोई न कोई उद्देश्य अवश्य छिपा होता है। ठीक बाकी त्यौहार की तरह इस त्यौहार के पीछे भी एक ख़ास उद्देश्य है और वह है भाई-बहनो के बिच के प्यार को रक्षाबंधन के जरिये मजबूत करना।

इस त्यौहार की सबसे ख़ास बात तो यह है की यह अब केवल खून के रिश्ते में भाई-बहन के साथ ही नहीं बल्कि उन दो दो दोस्त लड़के और लड़कियों के बिच भी मनाया जाता है जो रक्षाबंधन के मर्यादे को समझते हैं।

इनसब के अलावा रक्षाबंधन मानने के पीछे का सबसे बड़ा उद्देश्य है, भाईओं से बहनो की सुरक्षा के लिए वचन लेना और बहनो द्वारा भाईओं को सुख, समृद्धि, अच्छी स्वस्थ्य के साथ-साथ प्रगति की कामना करना।

रक्षाबंधन कब मनाया जाता है?

हिन्दू कैलेंडर पंचांग के अनुसार इस त्यौहार को प्रत्येक वर्ष श्रावण महीने के पूर्णिमा वाले दिन को मनाया जाता है और यही कारण है की इस त्यौहार को राखी पूर्णिमा भी कहा जाता है। भारत में हिन्दू धर्म को मानाने वाले बहुत सारे जाती-समुदाय के द्वारा इस दिन अन्य त्योहारों को भी मनाया जाता है। जैसे:

  • दक्षिण भारत में अवनि अटनम के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार में ब्राह्मण समुदाय के द्वारा मनाया जाता है। इस त्यौहार के उपलक्ष्य में ये लोग जनेऊ का आदान-प्रदान करते हैं और अपने पूर्वज से उनके द्वारा किये गए पापों की क्षमा याचना करते हैं साथ ही उनकी द्वारा दी गयी शिक्षा के लिए उन्हें धन्यवाद भी देते हैं।
  • पश्चिम भारत के तटीय क्षेत्र में इस दिन नारियल पूर्णिमा नामक त्यौहार मनाया जाता है। इस त्यौहार को ख़ासकर पश्चिमी तटीय इलाकों में रह रहे मछुआरे मनाते हैं और वरुण देवता से यह कामना करते हैं की समुद्री व्यापर अच्छा चलता रहे।
  • उत्तर भारत के साथ-साथ इसे मध्य भारत के कुछ क्षेत्र में कजरी पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। इस त्यौहार में घर की माताएं और किसान अपने बच्चों की भलाई और अच्छी फसल के लिए माता भगवती की आराधना करते हैं।

रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?

रक्षाबंधन को मनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण अगर कोई है जिसकी जरूरत पड़ती है तब वह है राखी, रोड़ी,अरवा चावल(अक्षत के लिए), दिया, दिए को जलाने के लिए गाय की घी, मिठाई और इनसब चीज़ों को एक साथ रखने के लिए एक आरती की थाली। इन सभी सामानो की खरीदारी बहाने एक दिन पहले ही बाज़ार जाकर कर लेती है।

त्यौहार वाले दिन मुहूर्त के अनुसार सबसे पहला कोई काम होता है तब वह है भाई एवं बहनो को अपने नित क्रिया को करके सुबह ही तैयार हो जाना। इस दौरान बहने आरती की थाल में मिठाई, राखी, दिया, और बाकि साड़ी जरूरत की चीज़ें भाई के समक्ष रखती ही और फिर राखी बांधे जाने के पश्चात आरती करके और भाई को मिठाई खिलाकर इस त्यौहार को मनाती है। एक बात और आरती होने के बाद भाई भेंट स्वरुप कुछ भी अपनी बहार को तोहफा देता है।

रक्षाबंधन मंत्र जाप

रक्षाबंधन के दिन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधने के दौरान बहनें निचे दिए गए पैराणिक मंत्र का जाप कर सकती है, जिसका अर्थ है “जिस रक्षासूत्र से महा शक्तिशाली राजा दानेन्द्र बलि को बंधा गया था, उसी रक्षा सूत्र से मैं तुम्हे बांधती हूँ, जो तुम्हारी रक्षा करेगा।

येन भादो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वानामिभाद्नामी त्वामाभिबध्नामी रक्षे माचल माचल।।

2021 में रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त क्या है?

  • तिथि: 22 अगस्त 2021
  • दिन: रविवार।
  • पूर्णिमा का प्रारम्भ: 21 अगस्त 2021, दिन शनिवार को शाम 07:00 बजे से।
  • पूर्णिमा का समापन: 22 अगस्त 2021, दिन रविवार को शाम 5:31 तक।
  • राखी बांधने की शुभ मुहूर्त: 22 अगस्त 2021 को दोपहर 01:42 से शाम 04:18 मिनट तक।
  • शुभ मुहूर्त: 22 अगस्त 2021 को प्रातः काल 06:15 से शाम 05:31 मिनट तक।

इसे भी पढ़ें: WhatsApp से कोरोना वैक्सीन का सर्टिफिकेट डाउनलोड कैसे करें?

रक्षाबंधन की अगले 7 साल की तिथि

वर्षतिथिदिन
202122 अगस्त 2022रविवार
202211 अगस्त 2022गुरुवार
202330 अगस्त 2023बुधवार
202419 अगस्त 2024सोमवार
20259 अगस्त 2025शनिवार
202628 अगस्त 2026शुक्रवार
202717 अगस्त 2027मंगलवार
20285 अगस्त 2028शनिवार
रक्षाबंधन की अगले 7 साल की तिथि

इसे भी पढ़ें: क्लाइमेट चेंज क्या है? नुकसान और इसे रोकने का तरीका

अंतिम शब्द

इस लेख में आपने जाना की रक्षाबंधन क्या है? इसके महत्व को जाना और यह भी जाना की इसे कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है। अंत में रक्षाबंधन 2021 में मनाने के लिए शुभ मुहूर्त क्या है?यह भी जाना। इस लेख से सम्बंधित किसी प्रकार की कोई विचार आपके मन में हो तब निचे कमेंट करके हमें अवश्य बतलायें, धन्यवाद।

FAQs

2021 में रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त कितने से कितने बजे तक है?
  • पूर्णिमा का प्रारम्भ: 21 अगस्त 2021, दिन शनिवार को शाम 07:00 बजे से।
  • पूर्णिमा का समापन: 22 अगस्त 2021, दिन रविवार को शाम 5:31 तक।
  • राखी बांधने की शुभ मुहूर्त: 22 अगस्त 2021 को दोपहर 01:42 से शाम 04:18 मिनट तक।
  • रक्षाबंधन का मंत्र

    येन भादो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल

    तेन त्वानामिभाद्नामी त्वामाभिबध्नामी रक्षे माचल माचल।।

    Leave a Comment