नम्बि नारायण का जीवन परिचय: इसरो केस, फिल्म और इनकी खोज

नम्बि नारायण इसरो के एक ऐसे वैज्ञानिक हैं, जिनका योगदान राकेट वज्ञान में काफी अहम् माना जाता है। इसके बावजूद इनके ऊपर झूठे आरोप लगाए गए और इन्हे कई सालों तक केरला सरकार और जांच एजेंसियों द्वारा प्रताड़ित भी किया गया। इस लेख के माध्यम से आपको इनसे जुड़े कई सारी अहम् जानकारियां मिलेगी और साथ ही लेख के अंत में आप नम्बि नारायण से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां भी पढ़ेंगे।

नम्बि नारायण का जीवन परिचय: इसरो केस, फिल्म और इनकी खोज
नम्बि नारायण अपनी बेटी गीता के साथ

नम्बि नारायण का जीवन परिचय

पूरा नामएस.नम्बि नारायण
निक नाम (NickName)राकेट मैन, नम्बि नम्बि
पेशा (Profession)वैज्ञानिक
ऊंचाई (Height)5 फ़ीट 6 इंच
वजन (Weight)76 किलोग्राम
जन्म तिथि (Date of Birth)12 दिसंबर 1941
उम्र (Age)80 साल (वर्ष 2021 में)
जन्म स्थान (Place of Birth)केरला, भारत
गृह-नगर (Hometown)नागरकोइल, तमिलनाडु, भारत
वर्तमान पता (Address)
राष्ट्रीयता (Nationality)भारतीय
धर्म (Religion)हिन्दू
जाती (Caste)तमिल ब्राह्मण
राशि (Zodiac Sign)धनु राशि
खानपान (Food Habit)शाकाहारी
सोशल मीडिया (Social Media)Twitter (Not Verified)

नम्बि नारायण की शिक्षा

विद्यालय (School)डीवीडी उच्च विद्यालय
महाविद्यालय (College)1. Thiagarajar कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, मदुरै
2. प्रिस्टोन यूनिवर्सिटी, न्यू जर्सी
शैक्षणिक योग्यता (Educational Qualification)मद्रास यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री

नम्बि नारायण का परिवार

माता (Mother)
पिता (Father)
भाई (Brother)
बहन (Sister)5 बहने
वैवाहिक जीवन (Married Life)वैवाहिक
पत्नी (Wife)मीणा नम्बि
बच्चे (Children)बेटी: गीता अरुणं (बैंगलोर में एक शिक्षिका)
बेटा: संकरा कुमार नारायणन (एक व्यापारी)

नम्बि नारायण का पसंद और शौक

रंग (Color)नीला और सफ़ेद
शौक (Hobbies)किताबें पढ़ना और घूमना

नम्बि नारायण जी का कार्य क्षेत्र

पेशा (Profession)वैज्ञानिक
विभाग (Department)क्रायोजेनिक तकनीक
प्रमुख खोजभारत में लिक्विड फ्यूल राकेट की तकनीक की खोज

नम्बि नारायण से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां

  • नम्बि नारायण साल 1966 में देश की सबसे प्रतिष्ठित रिसर्च सेंटर इसरो से जुड़े थे।
  • साल 1970 में इन्होने अपने वर्तमान समय से आगे जाकर कुछ अलग सोचा और फिर लिक्विड फ्यूल युक्त राकेट की खोज की। ताकि भविष्य में आम इंसान को अंतरिक्ष प्रोग्राम में शामिल किये जाने के दौरान उपयोग किया जा सके।
  • इस खोज के पीछे यु.आर.राव और तत्कालीन इसरो चेयरमैन सतीश धवन का भी बहुत बड़ा योगदान था।
  • इन्हे इसरो के क्रायोजेनिक विभाग का कार्यभार सौंपा गया था। इस विभाग में आमतौर पर काफी कम तापमान पर चीज़ों को बनाने का काम किया जाता है।
  • नम्बि नारायण के साथ एक अन्य वैज्ञानिक डी.शशि कुमारन का नाम इसरो के गुप्त जानकारी को लाखों में बेचने का आरोप लगा था।
  • तब के समय में इसरो ने इनका साथ केवल इसलिए देने से मना कर दिया, क्योंकि इसरो किसी भी कानूनी पचड़ों में पड़ना नहीं चाहता था, इस बात को खुद इसरो के चेयरमैन कृष्णास्वामी ने कहा था।
  • साल 1996 में सीबीआई ने नम्बि नारायण पर लगाए गए सभी झूठे आरोपों को खारिज कर दिया।
  • साल 1998 में देश की सुप्रीम कोर्ट ने इनके ऊपर लगाये गए सारे झूठे आरोपों से मुक्त कर दिया।
  • सारे आरोप गलत सिद्ध होने के पश्चात इन्होने कोर्ट से ये आवेदन किया उन्हें मानशिक प्रतारणा के बदले भरपाई की जाये, और पुलिस तथा अन्य अधिकारियों द्वारा किये गए झूठे केस पर इन्हे सजा दी जाने की भी बात कही।
  • नम्बि नारायण ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में इस बात को बताया है की जेल में जांच पड़ताल के दौरान इन्हे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। साथ ही इन्हे लगातार 30 घंटों तक खड़ा रखा गया था, जिसके कारण ये बेसुध होकर ज़मीन पर गिर गए थे।
  • काफी सारे झूठे आरोपों को सहन करने के बाद नम्बि नारायण को आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट में दीपक मिश्रा बेंच की तरफ से सुनवाई की गयी और केरला सरकार की तरफ से 75 लाख रूपए हर्ज़ाने के रूप में दिलाया गया।
  • साल 2008 में बॉलीवुड अभिनेता आर.माधवन ने इनकी जीवनी आधारित एक फिल्म को साइन किया है जो की साल 2022 में सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी।
  • नम्बि नारायण को साल 2019 में देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

अंतिम शब्द

इस लेख में आपने नम्बि नारायण की जीवनी के बारे में पढ़ा और साथ ही इनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें भी आपने जानी। लेख से सम्बंधित किसी प्रकार की कोई शंका या सवाल आपके मन में हो तब निचे कमेंट करके हमें अवश्य बतलायें, धन्यवाद्।

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FAQ’s

Q: नम्बि नारायण की उम्र कितनी है?

उत्तर: 80 साल वर्ष 2021 में।

Q: Rocketry: The Nambi Effect फिल्म किसके जीवन पर आधारित है?

उत्तर: इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नम्बि नारायण के जीवन पर आधारित है।

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