म्युचुअल फंड क्या है? और इसके प्रकार

म्युचुअल फंड, इस नाम को सुनकर एक आम इंसान के जीवन सबसे पहला ख्याल आता है, टीवी पर चल रहे उस प्रचार की जिसमे जोखिम से जुड़ि बातें बहुत ही तेजी से पढ़कर बताई जाती है। तो क्या सच में म्युचुअल फंड में निवेश करना जोखिम भरा काम है? और अगर जोखिम है भी तो कितना है?

इस लेख में आपको म्युचुअल फंड क्या है? से लेकर म्युचुअल फंड से जुडी वो सारी छोटी से छोटी बातें बताई जाएंगी जिससे आपके मन में उठ रहे हर एक सवाल का जवाब आपको मिल सके।

म्युचुअल फंड क्या है?

सरल भाषा में अगर बात की जाए तब म्युचुअल फंड किसी वित्तीय गाड़ी की तरह है जिसे पेशेवर निवेशक बैंकरों द्वारा इसका संचालन किया जाता है, इसका मुख्य काम है विभिन्न प्रकार के निवेशकों से पैसे इकट्ठे करना और इसमें पैसे लगाना। पर क्या आप जानते हैं म्युचुअल फंड में डाले गए पैसे आखिर जाते कहाँ हैं? और इन पैसों को ऐसे किस क्षेत्र में निवश किया जाता है, जिनसे आपको कम-से-कम 7 प्रतिशत से लेकर 14 प्रतिशत तक का फायदा पहुंचे।

म्युचुअल फंड क्या है? और यह कैसे काम करता है?
म्युचुअल फंड

म्युचुअल फंड कई प्रकार के इक्विटी स्टॉक, सिक्योरिटी बॉन्ड और बाकी स्टॉक मार्किट से जुड़े वित्तीय इंस्ट्रूमेंट का एक समावेशन है। जब आप इसमें निवेश करते हैं तब आपके पैसे शेयर बाजार के किसी एक स्टॉक को खरीदने के बजाय ऐसे ही ढेरों वित्तीय इंस्ट्रूमेंट को एक साथ समावेश करके उनमे पैसे लगाए जाते है।

ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि आपके पैसे सुरक्षित रहे और अगर आपको शेयर बाजार का जरा भी ज्ञान न हो तब भी आप ऐसे म्युचुअल फंड की स्कीम के जरीये अपना पैसा बाजार में लगा सके और मुनाफा कमा सकें।

म्युचुअल फंड काम कैसे करता है

म्यूच्यूअल फंड को समझने के लिए आपके लिए ये जानना काफी जरूरी है की इसके कितने और कुन-कौन से अंग हैं।

  1. निवेशक (Investor)
  2. फंड मैनेजर (Fund Manager)
  3. सिक्योरिटीज (Securities)
  4. रिटर्न (Return)

1. निवेशक (Investor)

म्युचुअल फंड में निवेशक का सीधा सा अर्थ है, पैसे लगाने वाला अर्थात आप और हमारे जैसा ही कोई आम इंसान या कोई व्यापारी, यहाँ निवेशक होने का बस एक ही मानदंड है की, निवेशक का उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। आप चाहें विद्यार्थी हो या कोई बड़ा व्यापारी यहाँ हर कोई भी अपनी भविष्य की जरूरतों के अनुसार अपने पैसे निवेश कर सकता है।

म्युचुअल फंड में निवेश करने के तरीके

अगर बात करें की म्युचुअल फंड में निवेश करने के तरीकों के बारे में तब आप यहाँ पांच प्रकार से निवेश कर सकते हैं, और इन पच्छ तरीको में से शुरुआत के दो तरीके ऐसे हैं जिसे ज़्यादा तर निवेशकों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है:

  1. एकमुश्त (Lump Sum Investment)
  2. व्यवस्थित निवेश योजना (SIP या Systematic Investment Plan)
  3. व्यवस्थित ट्रांसफर योजना (STP या Systematic Transfer Plan)
  4. लाभांश ट्रांसफर योजना (DTP या Dividend Transfer Plan)
  5. व्यवस्तिथ निकाशी योजना (SWP या Systematic Withdrawal Plan)

1. एकमुश्त (Lump Sum Investment)

जैसा की आप इसके नाम को पढ़कर ही समझ सकते हैं, म्युचुअल फंड में निवेश करने का यह तरीका तब आपके लिए कारगर होगा जब आपके पास एक समय में बहुत सारे पैसे हो, और आप उन पैसों को एक बार में निवेश करने की सोच रहे हों। इस तरीके का इस्तेमाल करने पर इसके अपने फायदे और नुकसान दोनों ही हैं।

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अगर आपने सही समय पर अपने सारे पैसों का निवेश किसी म्युचुअल फंड में कर दिया तब यह आपको काफी प्रॉफिट दिला सकता है पर अगर आपने गाढ़ी कमाई को एक मुश्त गलत समय में निवेश कर दिया तब आपको भारी नुकसान भी उठाना पर सकता है। इसलिए ज़्यदातर निवेशक एकमुश्त निवेश लम्बे समय के लिए करते हैं और बाजार में हो रहे कुछ समय के लिए छोटे-बड़े हलचल का इसपर न के बराबर प्रभाव पड़ता है।

2. व्यवस्थित निवेश योजना (SIP या Systematic Investment Plan)

यह निवेश वैसे भाई-बंधुओं के लिए ख़ास महत्व रखती है जिनके पास म्युचुअल फंड में एकमुश्त पैसे डालने के लिए फंड नहीं हैं पर फिर वे फिर भी निवेश करना चाहते हैं। इसमें आप सबसे पहले अपनी जरुरत के हिसाब से कोई एक म्युचुअल फंड को चुनते हैं और फिर उसमे प्रतिदिन/साप्ताहिक/प्रत्येक महीने/तिमाही/छमाही अथवा सालाना पैसे डालते हैं।

इस तरीके से म्युचुअल फंड में निवेश करने पर ऐसी कोई समय सिमा नहीं होती और इसमें आपके ऊपर किसी प्रकार की बाध्यता नहीं रहती और आप कभी भी अपनी जरुरत के अनुसार पैसों को निकल भी सकते हैं।

3. व्यवस्थित ट्रांसफर योजना (STP या Systematic Transfer Plan)

अगर आपके पास फंड्स है और आप नाही Lump-Sum या फिर SIP के जरिये इन्वेस्ट करना चाहते हैं तब या तरीका आपके लिए बिलकुल सही रहेगा। इस योजना के जरिये आप शुरुआत में ऐसे किसी कम जोकिहम वाले म्युचुअल फण्ड में निवेश कर सकते हैं और जब आपको कोई ऐसा म्युचुअल फंड मिल जाए जो अधिक फायदे देने की क्षमता रखता है तब आप इसमें व्यवस्तिथ रूप से अपने पैसों को ज़्यादा फायदा दे रहे म्युचुअल फंड में ट्रांसफर भी कर सकते हैं। इस योजना का फायदा आप तभी उठा पाएंगे जब दोनों म्युचुअल फंड का प्रबंधन एक ही कंपनी द्वारा की जा रही हो।

4. लाभांश ट्रांसफर योजना (DTP या Dividend Transfer Plan)

इस योजना का इस्तेमाल कर आप एक स्कीम से डिविडेंट के रूप में मिले फायदे को किसी दूसरे स्कीम में निवेश कर सकते हैं, जिससे आप अत्यधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

5. व्यवस्तिथ निकाशी योजना (SWP या Systematic Withdrawal Plan )

अगर आप कुछ समय में रिटायरमेंट लेने वाले हैं या फिर आप रिटायर हो चुके हैं अपने नौकरी से और आपके पास रिटायरमेंट के पैसे पड़े है और आप चाहते हैं की यह जरुरत से ज़्यादा और वक़्त से पहले ख़तम भी ना हो और आपके बुढ़ापे में यह आपका साथ निभाता रहे तो यह निवेश योजना ख़ास आपके लिए है। इस योजना के जरिये निवेश करने पर आप अपने जरुरत के अनुसार प्रत्येक महीने म्युचुअल फण्ड से पैसे निकाल सकते हैं और बाकी बचे आपके पैसे आपको वक़्त पर फायदा पहुंचाते रहेंगे।

2. फंड मैनेजर (Fund Manager)

फंड मैनेजर यह कोई एक व्यक्ति या फिर कुछ व्यक्तिओं का समूह भी हो सकता है, जिसका उद्देश्य होता है म्युचुअल फंड्स के लिए शेयर बाज़ार अथवा अन्य Instrumental Vehicles से बेहतर परफॉर्म कर रहे वैसे इक्विटी फंड्स या इंस्ट्रूमेंट को चुनना और म्युचुअल फंड्स में तत्कालीन निवेशकों को अच्छा प्रॉफिट दे सकें और बाकि दूसरे निवेशक भी इस म्युचुअल फंड्स में पैसे निवेश कर सकें।

फंस मैनेजर को उनके द्वारा किये जा रहे कार्य के बदले AMC(एसेट मैनेजमेंट कंपनियां) पैसे देती है, इसलिए निवेशकों को हमेशा ही यह सलाह दी जाती है की किसी भी प्रकार के फंड्स में निवेश करने से पूर्व आप उस फंड को मैनेज करने वाले फंड्स मैनेजर की कार्य शैली को जान लें और परख लें और फिर अपने तार्किक बुद्धि का इस्तेमाल करने के पश्चात ही अपनी खून-पसीने की कमाई को निवेश करें।

फंड मैनेजर से जुड़े आप इन बातों का अवश्य ध्यान रखें

  • फंड मैनेजर फंड्स से जुड़े सारे निवेश के लिए जिम्मेवार होता है और फंड्स में भिन्न प्रकार के निवेश के लिए अहम् रणनीति बनाना भी इन्ही के हाथों में होता है।
  • आप अपने फंड मैनेजर के योग्यता की जांच जरूर कर लें और यह जुरूर देख-परख लें की मैनेजमेंट में आपके फंड मैनेजर का कितना अनुभव है।
  • आप यह भी जांच कर ले की आपका फंड मैनेजर Active है या फिर Passive.

Active Fund Manager: वैसे फंड्स मैनेजर जो देश की आर्थिक गतिविधि, कंपनी से जुड़ी करंट अपडेट और शेयर मार्किट में हो रहे हर एक हलचल पर अपनी पैनी नज़र रखते हैं और इन्ही सभी डाटा को समझ बुझ कर अपने निवेश की इस्तिथि में बदलाव करते हैं।

Passive Fund Manager: वैसे फंड्स मैनेजर जो मुख्या रूप से ETF, और बाकी दूसरे प्रकार की सिक्योरिटीज या फिर बिल में निवेश की योजना तैयार करते हैं उन्हें Passive Fund Manager के नाम से जाना जाता है।

3. सिक्योरिटीज (Securities)

म्युचुअल फंड्स के मामले में सिक्योरिटीज का मतलब होता है वैसे फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट्स जो fungible और negotiable होते हैं और इनका कोई अपना मौद्रिक मूल्य होता है। सिक्योरिटीज को मुख्या रूप से तीन प्रकार में विभाजित किया जाता है:

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  1. Equities (इक्विटी)
  2. Debt(डेब्ट)
  3. Hybrid(Hybrid): इक्विटी और डेब्ट का मिश्रण

4. रिटर्न (Return)

यहाँ रिटर्न का अर्थ है निवेशकों द्वारा अपने पूंजी को म्युचुअल फंड में निवेश करने के पश्चात समय अवधी के ख़त्म होने पर होने वाले प्रॉफिट। म्युचुअल फंड से मुख्य रूप से दो प्रकार से आपको रिटर्न मिलता है:

  1. लाभांश(Dividend): जब आपके द्वारा निवेश किये गए म्युचुअल फंड में से किसी स्टॉक के कंपनी को अच्छा मुनाफा होता होता है तब वह कंपनी अपना मुनाफा को उन सभी स्टॉक होल्डर में भी बांटते हैं, जिन्होंने उनके स्टॉक को होल्ड करके रखा हो। अगर आपके म्युचुअल फंड के स्टॉक लिस्ट में भी ऐसी कोई अछि मुनाफे वाली कंपनी शामिल है तब आपको भी यह मुनाफा मिल सकता है।
  2. मूल्य में वृद्धि(Increased in Value): जब आपके म्युचुअल फंड में शामिल स्टॉक्स की कीमत बढ़ती है तब आपके म्युचुअल फंड की भी कीमत बढ़ती जिससे कम कीमत पर आपके द्वारा ख़रीदे गए म्युचुअल फंड को आप उन्ही कीमत पर बेच क्र मुनाफा कमाते हैं।

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म्युचुअल फंड्स से आप और किन तरीकों से पैसे कमा सकते हैं ?

म्युचुअल फंड्स में अगर आपने निवेश किया हुआ है, तब आप निचे दिए गए तरीकों से इससे और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

  1. चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest): आपने चक्रवृद्धि ब्याज किस प्रकार से काम करती है इस बारे में आपने अपनी स्कूली शिक्षा में जरूर पढ़ा होगा और आप इसकी ताकत को बखूबी समझते होंगे। आप इंटरनेट पर सर्च करके भी अपने द्वारा निवेश किये जा रहे पैसों पर चक्रवृद्धि के फॉर्मूले को लगाकर गणना कर सकते हैं।
  2. पूंजी में वृद्धि पर बांटना (Capita Gain Distribution): म्युचुअल फंड को मैनेज करने वाली कंपनी जब अपने किसी undervalue एसेट को बेचती है तब उससे होने वाले मुनाफे को आपसे बांटती है जिसे आप आसानी से Re-Invest कर सकते हैं।
  3. म्युचुअल फंड Re-Investment: क्या आप जानते हैं की म्युचुअल फंड्स आपको दो प्रकार से फायदा पहुँचाती है पहला-Divident के रूप में और दूसरा

अंतिम शब्द

इस लेख के माध्यम से आपने जाना की म्यूच्यूअल फंड क्या होता है?और साथ ही आपने ये भी जाना की ये काम कैसे करता है। इस लेख से सम्बंधित किसी प्रकार की कोई त्रुटि, कमी, गलती हुई हो तब क्षमा करें और इस लेख से सम्बंधित किसी प्रकार का कोई साल या सुझाव आपके मन में हो तब निचे कमेंट करके हमें अवश्य बताएं, धन्यवाद्।

FAQ’s

Q: म्युचुअल फंड क्या है?

उत्तर: म्युचुअल फंड किसी वित्तीय गाड़ी की तरह है जिसे पेशेवर निवेशक बैंकरों द्वारा संचालित किया जाता है, इसका मुख्य काम है विभिन्न प्रकार के निवेशकों से पैसे इकट्ठे करना और इस म्युचुअल फंड में पैसे लगाना।

Q: फंड मैनेजर क्या होता है?

उत्तर: फंड मैनेजर यह कोई एक व्यक्ति या फिर कुछ व्यक्तिओं का समूह भी हो सकता है, जिसका उद्देश्य होता है म्युचुअल फंड्स के लिए शेयर बाज़ार अथवा अन्य Instrumental Vehicles से बेहतर परफॉर्म कर रहे वैसे इक्विटी फंड्स या इंस्ट्रूमेंट को चुनना और निवेश का प्रारूप तैयार करना जो निवेशकों को अच्छा प्रॉफिट अर्थात रिटर्न दे सकें और बाकि दूसरे निवेशक भी इस म्युचुअल फंड्स में पैसे निवेश कर सकें।

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