हाइपरलूप क्या है और काम कैसे करता है? इसके फायदे, नुकसान

ये बात है साल 2018 की जब महाराष्ट्र में देवेंद्र फर्नांडिस की सरकार द्वारा आयोजित Magnetic Maharashtra Convergence में Virgin Hyperloop One के चेयरमैन रिचर्ड ब्रैंसन नेइस बात की घोषणा की थी की, उनकी कंपनी महाराष्ट्र राज्य में सेंट्रल पुणे से नवी मुंबई स्तिथ हवाई अड्डे के बीच हाइपरलूप की निर्माण करेगी। लेकिन आज भी कई लोग ऐसे हैं जिन्हे शायद इस इस बात की जानकारी हो की ये हाइपरलूप क्या है, और काम कैसे करती है? इस लेख के माध्यम से आपको इससे जुड़े लगभग सभी सवालों के जवाब मिलेंगे।

हाइपरलूप क्या है?

हाइपरलूप यात्री और माल परिवहन का उभरता हुआ माध्यम है, जिसमे हवाई जहाज की रफ़्तार से एक सीलबंद ट्यूब या कहें कब दबाव वाले ट्यूब के जरिये एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाय जा सकेगा। हाइपरलूप इतनी तेज़ रफ़्तार से चलने में इसलिए सक्षम है क्योंकि इसके अंदर वायु का दबाव काफी कम होता है और इस ट्यूब में विपरीत दिशा से चलने वाली हवा का दबाव काफी कम पड़ता है। इस आधुनिक अविष्कार को ओपन-सोर्स प्रोजेक्ट के रूप में वर्गीकृत किया गया है। जिसका अर्थ है की इस प्रोजेक्ट पर कोई भी काम कर सकता है।

भारत में हाइपरलूप क्या है और काम कैसे करता है इसके फायदे, नुकसान
भारत में हाइपरलूप क्या है और काम कैसे करता है इसके फायदे, नुकसान

हाइपरलूप काम कैसे करता है?

हाइपरलूप की कार्य प्रणाली को समझना काफी आसान है, इसे तीन हिस्सों में बांटा गया है और वह कुछ इस प्रकार है:

  • ट्यूब: यह किसी बड़े से बंद पाइप की संरचना की होती है, जिसके अंदर के वायु दबाव को मशीनों के जरिये नियंत्रित किया जाता है।
  • पोड: यह बिल्कुल उस रेल के डिब्बे की तरह होता है जिसमे यात्री बैठकर सफर करते हैं, जिस तरह से ट्रैन पटरी पर चलती है ठीक उसी प्रकार हाइपरलूप की पोड ट्यूब के अंदर चलती है।
  • टर्मिनल: टर्मिनल बिल्कुल रेलवे स्टेशन की तरह होती है, जिसका उपयोग यात्रियों द्वारा गंतव्य स्थान पर पहुंचने के लिए किया जाता है।

पारम्परिक तौर पर इस्तेमाल में लिए जाने रेलवे की स्पीड और क्षमता काफी सिमित है। इसी कमी को पूरा करने के लिए हाइपरलूप तकनीक जा इजात किया गया है। इसमे ट्यूब के अंदर काफी सिमित और नियंत्रित मात्रा में वायु की मौजूदगी होती है और इस ट्यूब को ज़मीं के निचे या ज़मीन के ऊपर बनाया जा सकता है।

इस ट्यूब के अंदर पोड को इस Electromagnetic और Air लेविटेशन का इस्तेमाल करके इस तरह से रखा जाता है की वह हवा में ही चल सके। चूँकि इस ट्यूब में वायु का दबाव काफी कम होता है इसलिए ये पॉड्स इस ट्यूब में काफी तेज़ रफ़्तार से चल पाते हैं।

हाइपरलूप की स्पीड

हाइपरलूप में इतनी क्षमता है की ये वर्तमान समय में चल रही बुलेट ट्रेन से दोगुनी रफ़्तार से चलने में सक्षम है। ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा की ये हवाई जहाज की रफ़्तार से चलने में सक्षम है। अगर हम बात इसके रफ़्तार या स्पीड की करें तब यह 1200 km/h (760 mph) की रफ़्तार से चलने में सक्षम है।

हाइपरलूप के फायदे और नुकसान

जब कोई नयी तकनीक लोगों के सामने उभर कर आती है तब उनके मन में पहला सवाल यही आता है की इससे हमें क्या फायदा होगा? और इससे जुड़े क्या-क्या नुकसान संभव हैं?

हाइपरलूप के फायदे

  • लम्बी दुरी तय करने के लिए यह एक सस्ता साधन हो है।
  • ये परिवहन का सबसे तेज़ माध्यम है और ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा की ये कई सारे छोटे हवाई जहाज़ से दोगुने रफ़्तार से चलने में सक्षम है।
  • काफी कम बिजली की आवश्यकता होती है, अर्थान ये कम ऊर्जा के साथ परिवहन का सबसे अच्छा माध्यम है।
  • खराब मौसम का इसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि इस तकनीक में परिवहन के उपयोग में आने वाले पोड एक सीलबंद ट्यूब में चलती है। जिसका बाहरी वातावरण से कोई लेना-देना नहीं होता।
  • भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा में भी इसे कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला।
  • अर्थात हम यह कह सकते हैं की ये परिवहन का एक सुरक्षित माध्यम है।

हाइपरलूप के नुकसान या इसकी कमियां

  • इस तकनीक की सबसे बड़ी कमजोड़ि यही है की शुरुआती निवेश काफी महँगी होती है। विकाशील देशों शायद इस तकनीक पर निवेश करना चाहेंगे।
  • ज़मीन अधिग्रहण से स्थानीय किसान और जनता को काफी नुकसान हो सकता है।
  • काफी लम्बे वैक्यूम चैम्बर के निर्माण के लिए अत्यधिक कुशलता की आवश्यकता पड़ेगी।
  • एक जरा सी चूक इसमें लोगों की ज़िंदगी खत्म कर सकती है।
  • ट्यूब को काफी ज़्यादा रख-रखाव की जरुरत पड़ती है और यह महँगी भी है।
  • पोड के अंदर जगह की कमी होती है अर्थात इसमें चलना फिरना थोड़ा मुश्किल है।
  • इस तकनीक के सेटअप करने में काफी ज़्यादा मात्रा में पेड़ों की कटाई की जा सकती है, जो पर्यावरण के लिए उचित नहीं है।
  • स्टील से निर्मित ट्यूब गर्मी के दिनों में फ़ैल सकते हैं, जिससे दुर्घटना के आसार बने रहेंगे।

भारत में हाइपरलूप

अगर बात की जाए हाइपरलूप की भारत में लांच करने के विषय में तब ये आज हो या फिर फिर कल इस बात की पूरी उम्मीद है की इसकी शुरुआत महाराष्ट्र राज्य में होगी। वर्ष 2018 में देवेंद्र फर्नांडिस के मुख्यमंत्री रहते हुए Magnetic Maharashtra Convergence में Virgin Hyperloop One के चेयरमैन रिचर्ड ब्रैंसन नेइस बात की घोषणा की थी की, उनकी कंपनी महाराष्ट्र राज्य में सेंट्रल पुणे से नवी मुंबई स्तिथ हवाई अड्डा के बीच हाइपरलूप का निर्माण करेगी। अगर मीडिया की बात की जाए तब उनके अनुसार इसकी संभावना 2025 तक बनाने की है।

अंतिम शब्द

इस लेख के माध्यम से आपने जाना की हाइपरलूप क्या है? और यह काम कैसे करता है? साथ ही आपने इसके फायदेऔर इसके क्या नुकसान हैं इस बारे में भी जाना। लेख से सम्बंधित किसी तरह की कोई सवाल, शिकायत या सुझाव आपके मन में हो तब निचे कमेंट करके हमें अवश्य बतलायें, धन्यवाद।

इसे भी पढ़ें:

Leave a Comment